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'विदेशी मूल' के थे कोलोन हमलावर

११ जनवरी २०१६

जर्मन प्रशासन ने कोलोन कांड पर अपनी पहली जांच रिपोर्ट में बताया है कि लगभग सभी आरोपी "विदेशी मूल" के थे. विदेशी-विरोधी गुट पेगीडा समर्थक पूर्वी जर्मनी के शहर लाइपसिग में सोमवार शाम एक बड़ी रैली निकालने वाले हैं.

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तस्वीर: Reuters/W.Rattay

जर्मनी के गृह मंत्री थोमस दे मेजियेर ने सोमवार को कहा है कि इस बात के कई संकेत मिले हैं कि कोलोन में अपराध करने वाले लगभग सभी लोग प्रवासी पृष्ठभूमि के थे. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इससे शरणार्थियों के विरुद्ध घृणा और वैमनस्य फैलाने के कदम नहीं उठाए जाने चाहिए.

नार्थ-राइन वेस्टफेलिया राज्य के गृह मंत्री राल्फ जेगर ने कहा, "गवाहों के बयान, स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट और केंद्रीय पुलिस की जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि इन अपराधों को अंजाम देने वाले लगभग सभी लोग विदेशी मूल के थे."

नए साल की पूर्व संध्या पर कोलोन समेत कई जर्मन शहरों से 600 से भी अधिक आपराधिक शिकायतें दर्ज हुई हैं. कोलोन में महिलाओं पर हुए हमलों के संबंध में पुलिस जांच शरणार्थियों और प्रवासियों पर केंद्रित थी. चोरी, पॉकेटमारी के अलावा हुए हिंसक यौन हमलों के कारण जर्मनी में शरणार्थियों को लेकर बहस काफी गर्म है. सोमवार को राज्य का एक क्षेत्रीय संसदीय आयोग कोलोन घटना के बारे में पुलिस और अन्य लोगों से बातचीत करेगा.

इस बीच रविवार को कोलोन में हुए एक गुट के हमले में दो पाकिस्तानी और एक सीरियाई व्यक्ति घायल हो गया. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में लिखा है कि हमलावर किसी रॉकर और हूलिगन गैंग के सदस्य थे जिन्होंने फेसबुक के माध्यम से वहां मिलने और विदेशियों पर हमले की योजना बनाई थी.

दूसरी ओर इस्लाम विरोधी राजनीतिक आंदोलन पेगीडा इस घटना के बाद फिर सक्रिय हुआ है. पेगीडा समर्थकों ने शनिवार को कोलोन में दंगारोधी पुलिस बल पर बोतलें और पटाखे फेंके. उन्हें हटाने के लिए पुलिस को आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा. पेगीडा का मजबूत गढ़ माने जाने वाले पूर्वी जर्मनी के लाइपसिग शहर में सोमवार शाम को वे एक बड़ी रैली निकालने वाले हैं.

Köln Pegida Polizei Wasserwerfer
कोलोन पुलिस को उग्र भीड़ को रोकने में लगी मशक्कततस्वीर: Reuters/W. Rattay

जर्मनी के न्याय मंत्री हाइको मास ने बताया उन्हें विश्वास है कि कोलोन हमला किसी संगठित गुट का काम है. मास ने बिल्ड आम सोनटाग अखबार से बातचीत में कहा, "इतने सारे लोगों का एक जगह पर इकट्ठा होना और इस तरह के अपराध करना, किसी ना किसी तरह पहले से योजनाबद्ध रहा होगा."

पुलिस में गुप्त सूत्रों के हवाले से बिल्ड अखबार ने यह भी लिखा है कि कुछ उत्तरी अफ्रीकी लोगों ने सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल कर लोगों को नए साल की पूर्वसंध्या पर कोलोन में इकट्ठा होने का संदेश भेजा था. कोलोन के अतिरिक्त, हैम्बर्ग शहर में भी उसी दिन पुलिस के पास कम से कम 133 आपराधिक शिकायतें दर्ज हुई थीं.

कोलोन कांड के कारण एक नई बहस भी पैदा हुई है कि कानून तोड़ने पर प्रवासियों को देश से निर्वासित करने की कार्यवाही तेज की जाए और सार्वजनिक जगहों पर ज्यादा वीडियो निगरानी और पुलिस बल को बढ़ाया जाए. केवल पिछले साल में ही जर्मनी में 10 लाख से अधिक लोग शरण लेने पहुंचे.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को विरोधियों ही नहीं अपनी पार्टी के सदस्यों की भी कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही है. वे युद्ध शरणार्थियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खुले रखने की मैर्केल की नीति का विरोध कर रहे हैं. अब सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में सीरिया, इराक, अफगानिस्तान जैसे देशों से आए लोगों को जर्मन समाज में एकीकृत कैसे किया जा सकेगा.

बॉन यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विश्लेषक तिलमान मायर ने एक जर्मन टीवी चैनल पर कहा, "ओपन-आर्म्स पॉलिसी के बाद अब शायद इसके स्वर को बदलने का समय आ गया है. अब सवाल निष्कासन और कड़े कानून बनाने का है. कोलोन में जो कुछ भी हुआ उसका एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पक्ष भी है." अब भी ठंड के बावजूद हर दिन 3,000 से 4,000 लोग शरण की तलाश में जर्मनी पहुंच रहे हैं.

आरआर/एसएफ (एएफपी,रॉयटर्स)