वादा का वादा है एक बेहतर दुनिया, और यूं हो रही हैं कोशिशें
७ अक्टूबर २०१६इसकी शुरुआत हुई है नीरू सिंह के जर्मनी आने के साथ. वे जर्मनी में भारतीय राजदूत की पत्नी हैं. खुद भारतीय प्रशासनिक सेवा में रही हैं और करीब 18 साल संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुकी हैं. इंडोनेशिया में रहते हुए वे वहां के वादा फाउंडेशन से जुड़ी थीं और इसी के साथ शुरू हुआ था भारत और इंडोनेशिया के गैर सरकारी संगठनों में सहयोग का एक नया अध्याय. अपने इस अनुभव के बारे में नीरू सिंह कहती हैं, "जब हम इथियोपिया में थे तो बेयरफुट कॉलेज ने वहां के सुदूर गांवों की बुजुर्ग महिलाओं को सोलर बिजली चलाने और प्रबंध करने की ट्रेनिंग दी थी. हमने देखा कि इससे उन्होंने गांव में सोलर बिजली तो ला ही दी, उनका सशक्तिकरण भी हुआ और फैसलों में उन्हें शामिल किया जाने लगा.”
नीरू सिंह ने जकार्ता प्रवास के दौरान भी इस अनुभव का फायदा उठाया. उन्होंने वादा फाउंडेशन के साथ मिलकर भारत सरकार और बेयरफुट कॉलेज की मदद से इंडोनेशिया के सुदूर गांवों की दादियों को यही ट्रेनिंग दिलवाई. ये तीन संस्थाओं के सहयोग की मिसाल थी. और वादा फाउंडेशन के साथ उनका जो रिश्ता शुरू हुआ, वह अब भी जारी है. नीरू सिंह वादा फाउंडेशन को जर्मनी में भी लोकप्रिय कराने की शुरुआत कर रही हैं और यह जर्मनी के गैरसरकारी संगठनों के साथ सहयोग की नई शुरुआत साबित हो सकती है.
2008 में गठित जकार्ता का वादा फाउंडेशन महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए शुरू किया गया अनोखा फाउंडेशन है. इसका गठन सामाजिक, शैक्षिक, सामुदायिक और सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने वाली महिलाओं की विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था. यह संस्था इंडोनेशिया, भारत, फिलीपींस और मलेशिया में महिलाओं को आत्मनिर्भर होने में मदद दे रही है. दूसरी ओर नेपाल, भूटान और अफगानिस्तान में भी विभिन्न परियोजनाओं के लिए वह अपने साथी संगठनों की मदद कर रही है. अपनी गतिविधियों के साथ वादा फाउंडेशन एशिया के 40 समुदायों में शिक्षा, साक्षरता और रचनात्मक शिक्षा को प्रोत्साहित कर रही है.
वादा फाउंडेशन जमीनी स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण का काम कर रही है ताकि वे परिवार चलाने के अलावा गरीबी से बाहर निकल सकें और अपनी जिंदगी बेहतर बना सकें. वह परंपरागत कलाओं को पुनर्जीवित करने कारीगर परिवारों को टिकाऊ रोजगार देने के प्रयासों को भी मदद दे रही है. वादा फाउंडेशन की बढ़ती गतिविधियों की वजह से उसके काम से दूसरे संस्थानों को भी परिचित कराने की जरूरत महसूस हुई. फरवरी 2016 में इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय समिति बनाई गई जिसकी प्रमुख नीरू सिंह हैं. वह 18 साल तक संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुकी हैं. इसी साल वादा फाउंडेशन की भारतीय शाखा भी खोली गई है. इसी साल फाउंडेशन को संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार का भी दर्जा मिला है.
अब फाउंडेशन के प्रतिनिधि जर्मनी में भी संगठन के कामों को परिचित कराने का प्रयास कर रहे हैं ताकि यहां संगठन के कामों के लिए न सिर्फ धन जुटाया जा सके बल्कि जर्मन गैर सरकारी संगठनों की विकास परियोजनाओं में मदद भी ली जा सके. वादा शिक्षा, स्वास्थ्य और सामुदायिक विकास के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रम चला रही है. वादा की प्रमुख परियोजनाओं में इंडोनेशिया में जर्मन छात्रों और स्थानीय लोगों की मदद से हाइड्रॉलिक पंप लगाना शामिल है जिससे लोगों को पीने का स्वच्छ पानी मिल सके. इसके अलावा ग्रामीण लोगों को सोलर बिजली की तकनीक उपलब्ध कराई जा रही है जिसे लगाने और चलाने की ट्रेनिंग महिलाओं को भारत के बेयरफुट कॉलेज में दी जाती है. और ये अनुभव महिलाओं को न सिर्फ समाज के लिए लाभदायक बल्कि ताकतवर भी बना रहा है.