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वह न भूलने वाला दिन

अलेक्जांडर कुदाशेफ/एमजे८ नवम्बर २०१४

जर्मनों के लिए 9 नवंबर 1989 का दिन ऐतिहासिक था, खासकर पूर्वी जर्मनी जीडीआर के लोगों के लिए. डॉयचे वेले के मुख्य संपादक अलेक्जांडर कुदाशेफ का कहना है कि बर्लिन दीवार का गिरना पश्चिम जर्मनी और पूरे यूरोप के लिए अहम था.

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9 November 1989 Berlin
तस्वीर: picture-alliance/dpa

9 नवंबर 1989 एक जादुई लमहा था. शाम को कहा गया कि यात्रा की आजादी तुरंत लागू हो रही है. इस घोषणा से ले कर रात में दीवार के गिरने तक, कुछ घंटों के अंदर जर्मनों और यूरोप की जिंदगी बदल गई. इतिहास बन गया. साम्यवादी शासन वाला पूर्वी जर्मनी जीडीआर प्रदर्शनों और पलायन करने वालों के दबाव में बिखर गया. दीवार का गिरना जीडीआर का अंत साबित हुआ, हालांकि एकीकरण होने में और एक साल लगा. दीवार और बाड़ से मुक्त जीडीआर ने, जो अपने नागरिकों को यात्रा करने दे रहा था, पूर्वी ब्लॉक और वॉरसा संधि की सदस्यता के अलावा अपने अस्तित्व की वजह को खो दिया था.

लेकिन सुधारवादी गोर्बाचोव के नेतृत्व वाले सोवियत संघ और पूर्वी बर्लिन के साम्यवादी शासकों ने बल का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया. बीजिंग के तियानानमेन चौक पर हुए नरसंहार जैसा चीनी समाधान टल गया था. 9 नवंबर 1989 को आजादी के आंदोलन को 1953 में जीडीआर, 1956 में हंगरी या 1968 में चेकोस्लोवाकिया की तरह कुचला नहीं गया. बर्लिन की दीवार के गिरने ने पूर्वी जर्मनों की शांतिपूर्ण क्रांति को पूरा कर दिया.

Alexander Kudascheff
तस्वीर: DW/M. Müller

खुशी के आंसू

9 नवंबर का दिन खुशियों की रात और आंसू लेकर आया. इसने जर्मनों को भावुक कर दिया. उसने दोनों हिस्सों में एकीकरण की इच्छा और पूरब में आजादी की भूली दबी भावनाओं को उभार दिया. एक ऐसा उबाल जिसने जर्मनों और बर्लिन वालों को अपने आगोश में ले लिया. हर्षोल्लास की ऐसी भावना जिसने उस समय हम सबको अचंभित कर दिया था. भावनाओं की व्याख्या न की जाने वाली रात ने साफ कर दिया कि 40 साल के विभाजन ने भी एक होने की भावना को नहीं तोड़ा था, और इसने हममें से ज्यादातर लोगों को आश्चर्यचकित भी किया. और पूर्व चांसलर विली ब्रांट की शास्वत उक्ति भी आई कि अब वह साथ बढ़ेगा जिसे साथ होना चाहिए. यह एक ऐसा एकीकरण था जो किसी के खिलाफ नहीं था, खासकर पड़ोसियों के खिलाफ नहीं. शांतिपूर्ण क्रांति ने जर्मनी को यूरोप के बीच में ला दिया.

पूर्वी जर्मनों का विद्रोह साम्यवादी तानाशाही के खिलाफ था, सब कुछ तय करने वाले पहरेदार राज्य के खिलाफ, जैसा कि उन दिनों जीडीआर में प्रतिबंधित एक किताब ने कहा था. विद्रोह एक खुले मुल्क के लिए था, जिसमें लोगों को बांध कर न रखा जाए, इसलिए यात्रा की आजादी की मांग केंद्रीय मांग थी. कम राज्य की मांग उतनी जोरदार नहीं थी. इसलिए यह इतिहास की विडंबना है कि एकीकृत जर्मनी में पूरब और पश्चिम दोनों ही हिस्सों के जर्मन एक मजबूत और ख्याल रखने वाले राज्य की मांग कर रहे थे.राज्य के खिलाफ विद्रोह दरअसल ऊपर के लोगों के खिलाफ विद्रोह था, खुले समाज के खिलाफ नहीं.

जर्मनी 9 नवंबर के बाद प्रोटेस्टेंट बहुल, पूर्व की ओर लक्षित, वैचारिक रूप से नरम, कम वैचारिक विवादों वाला और हम कह सकते हैं कि अपेक्षाकृत वामपंथी हो गया. और उसका प्रतिनिधित्व और शासन दो पूर्वी जर्मन कर रहे हैं, राष्ट्रपति योआखिम गाउक और चांसलर अंगेला मैर्केल. दोनों में जीडीआर में और उसके साथ हुए उनके अनुभवों की छाप देखी जा सकती है. और कभी कभी इसकी शिकायत भी की जाती है. लेकिन फिर भी यह सामान्य राजनीतिक रोजमर्रा है जो पूरब और पश्चिम को बांटता नहीं. लोग जितना सोचते हैं आंतरिक एकीकरण उससे आगे बढ़ चला है. उसकी शुरुआत 9 नवंबर 1989 की रात साझा हर्षोल्लास के साथ शुरू हुई थी.