लौट आया पतझड़
भरी गर्मियों के बाद हवा धीरे धीरे ठंडी और तीखी होने लगती है. नदी किनारे कुछ पंछी दिखाई देने लगते हैं. जर्मनी में पतझड़ का मौसम कुछ त्योहार, कुछ पकवान लाता है.
रंगीन
दिन छोटे होने लगते हैं और पत्तियां रंगीन.. चटक लाल और पीली. तापमान गिरने लगता है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक जर्मनी सितंबर से नवंबर तक रंगीन हो जाता है.
हवा में उड़ती जाए
पतझड़ पतंग उड़ाने का बढ़िया समय होता है. माना जाता है कि चीन में सबसे पहले पतंग बांस और सिल्क से बनाई गई. तस्वीर में राइन नदी के कोलोन में किनारे पतंग उड़ाते कुछ लोग.
रंगों का त्योहार
जर्मनी की राजधानी बर्लिन अक्टूबर में रंग बिरंगी रोशनी से सरोबार हो जाती है. 2014 में यह समारोह 10वीं बार आयोजित किया जा रहा है.
आराम का समय
हर सर्दी में 20-30 हजार आर्कटिक बतखें राइन नदी की निचली घाटी के बिसलिषर द्वीपों में पहुंचती हैं. अक्टूबर इनके आने का समय है और फरवरी में वह फिर लौट जाती हैं.
पके अंगूर
जर्मनी में यह अंगूरों की फसल तोड़ने का समय होता है. इस दौरान खूब वाइन फेस्टिवल आयोजित किए जाते हैं. जबकि आईस वाइन अंगूर ठंड में निकाले जाते हैं. ये कम से कम मायनस सात डिग्री सेल्सियस में फ्रीज हो जाने चाहिए.
पारंपरिक उत्सव
म्यूनिख का अक्टूबर फेस्टिवल अपने आप में अनोखा है और दुनिया भर में मशहूर है. 2014 में यहां साठ लाख से ज्यादा लोग पहुंचे. इस दौरान लोगों ने एक लीटर बीयर वाले करीब 65 लाख ग्लास खाली किए.
कद्दू ही कद्दू
लुडविग्सबुर्ग शहर में हर साल पतझड़ के दौरान कद्दूओं की प्रदर्शनी लगाई जाती है. दुनिया भर से कद्दू की करीब 500 किस्में यहां दिखाई जाती हैं.
बदलाव का मौसम
जैसे जैसे रातें अंधेरी होने लगती हैं वैसे वैसे सूरज के लाल पीले रंग पत्तियों में उतरने लगते हैं. फिर धीरे धीरे मिट्टी सारे पत्ते निगल जाती है और पेड़ सूखे सूखे से.. सर्दियों के लिए तैयार.
कवियों का मौसम
चाहे विलियम शेक्सपीयर हों या फिर जॉन कीट्स, पतझड़ कविता का अहम विषय रहा है. शेक्सपीयर ने 73वीं सॉनेट में और कीट्स ने ओड टू ऑटम में पतझड़ का शाब्दिक चित्र बनाया है.