लोगों से घबरा कर मुकदमा छोड़ा
१० जनवरी २०१३वित्तीय संकट में सरकार ने 182 अरब डॉलर की मदद कर अमेरिकी बीमा कंपनी एआईजी को बचाया था. यह वही कंपनी है जिसने अपनी करतूतों की वजह से अमेरिका और उसके साथ पूरी दुनिया की वित्तीय व्यवस्था की जड़ें हिला दी थीं. अमेरिका का वित्तीय ढांचा चरमरा गया था. अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट वित्तीय बाजार के नक्शे से मिट जाने के कगार पर पहुंच गया था. एआईजी को बचाना अमेरिकी इतिहास में किसी कंपनी को बचाने की सबसे बड़ी सरकारी कार्रवाई थी. 182 अरब डॉलर की मदद. लेकिन इसी मदद की वजह से बीमा कंपनी सरकार से और 25 अरब यूरो चाहती थी, हर्जाने के रूप में.
बुधवार को एआईजी के बोर्ड ने घंटों तक हर्जाने के मुद्दे पर बैठक की. वह एजेंडे पर अकेला मुद्दा था. सवाल था, मुकदमा करें या न करें. फैसला महीने के अंत तक होना था, लेकिन बुधवार को ही फैसला लेना पड़ा, लोगों के भारी विरोध के कारण मुकदमा न करने का फैसला. सरकार पर मुकदमा करने से बीमा कंपनी की रही सही साख भी जाती रहती. यह सही मायनों में पीआर का प्रलय होता, जिसे बर्दाश्त करना कंपनी के लिए संभव नहीं होता.
अमेरिकी इंटरनेशनल ग्रुप (एआईजी) ने दिसंबर में ही सरकार का कर्ज चुकाया है. इस समय अमेरिका में उसका एक बड़ा टेलीविजन विज्ञापन अभियान चल रहा है. टीवी स्पॉट में तूफान, बाढ़ और प्रकृति के विनाश के बीच मुस्कुराते कर्मचारियों को दिखाया गया है, जो कह रहे हैं "थैंक यू अमेरिका", "बेहतर भविष्य की सुरक्षा की आजादी के लिए शुक्रिया." एक ओर अमेरिका को धन्यवाद उस मदद के लिए तो दूसरी ओर सरकार पर मुकदमा उसी मदद के लिए.
एआईजी बोर्ड में बहस इस बात पर थी कि क्या कंपनी अपने पूर्व सीआईओ मॉरिस ग्रीनबर्ग के मुकदमे का समर्थन करेगी. 87 वर्षीय ग्रीनबर्ग की कंपनी ने जिसका एआईजी में हिस्सा है, सरकार से 25 अरब डॉलर के हर्जाने की मांग कर रखी है. उनकी दलील है कि सरकार ने एआईजी पर मदद के लिए सख्त शर्तें रखीं और इस तरह से शेयरधारकों के हितों को नुकसान पहुंचाया.
कंपनी की प्रशासनिक परिषद के प्रमुख स्टीव मुलर ने कहा कि बोर्ड ने मामले की जांच के साथ अपना कर्तव्य पूरा किया है. एआईजी ग्रीनबर्ग के मामले पर विचार नहीं करेगा और न ही उनकी होल्डिंग कंपनी एआईजी के नाम पर सक्रिय होगी. ग्रीनबर्ग की कंपनी स्टार इंटरनेशनल के पास वित्तीय संकट से पहले एआईजी का 12 फीसदी हिस्सा था. अमेरिकी केंद्रीय बैंक पर उनका आरोप है कि उसने सहायता पैकेज के साथ एआईजी के शेयरधारकों की कीमत पर वॉल स्ट्रीट के बैंकों को बचाया है और उसके लिए ज्यादा ब्याज लिया है.
डेमोक्रैटिक सीनेटर और वॉल स्ट्रीट की आलोचक एलिजाबेथ वारेन ने बीमा कंपनी के रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया तो न्यूयॉर्कर पत्रिका के स्तंभकार एंडी वोरोवित्स ने लिखा, "हम अमेरिकियों के एक कीमती अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, ऐसे किसी पर मुकदमे का हक, जिसने अभी अभी तुम्हारी जान बचाई है." ट्विटर पर भी बहुत से अमेरिकियों ने अपने गुस्से का इजहार किया. टॉप्सी एनेलिटिक के अनुसार मंगलवार को एआईजी की सामान्य से 50 गुना ज्यादा बार चर्चा रही.
2008 के वित्तीय संकट के दौरान इंवेस्ट बैंक लीमन ब्रदर्स दीवालिया हो गया लेकिन उसके विपरीत एआईजी को सरकार ने बचा लिया. लीमन ब्रदर्स के दीवालिया होने के बाद डर हो गया था कि एक और बैंक के दीवालिया होने से पूरी वैश्विक वित्त व्यवस्था ढह जाएगी. सरकार ने 182 अरब डॉलर की मदद की लेकिन इस बीच उसने 23 अरब डॉलर के मुनाफे के साथ अपना शेयर फिर से बेच दिया है.
एमजे/एजेए (डीपीए, रॉयटर्स)