लोकतंत्र की गुहार
हॉन्ग कॉन्ग में लोकतांत्रिक चुनावों के लिए जन आंदोलन ने शहर के जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है. हजारों लोगों ने सोमवार को शहर में प्रदर्शन किया. आयोजकों ने आंदोलन में विस्तार की धमकी दी है.
प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस
रविवार रात पुलिस ने हस्तक्षेप किया. लोकतंत्र समर्थकों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए, लाठीचार्ज किया गया और मिर्ची गैस का भी इस्तेमाल किया गया. पुलिस के अनुसार 38 लोग घायल हुए. इस बीच पुलिस को हटा लिया गया है.
यातायात अस्त व्यस्त
शहर के केंद्र के अलावा कोलून सहित शहर की कई प्रमुख जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख चौराहों की नाकेबंदी कर रखी है. चीन के विशेष प्रशासनिक इलाके हॉन्ग कॉन्ग में यातायात अस्त व्यस्त हो गया है. 200 से ज्यादा बस लाइनों और ट्रामों का कनेक्शन टूट गया है.
जनजीवन ठप
आंदोलन से प्रभावित इलाकों में स्कूल कॉलेज और दुकानें आंशिक रूप से बंद हैं. स्कूली छात्रों के अभिभावकों से बच्चों को घर पर रखने को कहा गया है. बड़े वित्तीय संस्थानों और इंवेस्टमेंट बैंकों ने काम काज चलाने के लिए आपात योजना लागू की है.
कई दिनों का विरोध
एक हफ्ते से चल से विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत पिछले सोमवार को छात्रों की हड़ताल से हुई थी. सप्ताहांत में लोकतांत्रिक आंदोलन ऑक्यूपाई सेंट्रल भी हड़ताल में शामिल हो गया. आंदोलनकारी लोकतांत्रिक चुनावों की मांग कर रहे हैं.
आंदोलन की शुरुआत
आंदोलनकारी चीन के कम्युनिस्ट शासन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं कि 2017 में होने वाले चुनावों में सिर्फ पहले से चुने गए उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने दिया जाएगा. सरकार विरोधी उम्मीदवार का चुनाव लड़ना मुमकिन नहीं होगा.
एक देश दो पद्धति
1997 में चीन को वापस किए जाने के बाद से ब्रिटिश उपनिवेश हॉन्ग कॉन्ग का विशेष दर्जा है. मुख्य भूमि चीन के विपरीत वहां प्रेस और सभा करने की आजादी है. राजनीतिक तौर पर चीन अपना नियंत्रण चाहता है. आंदोलन को उसने अवैध बताया है.
चीन की प्रतिक्रिया
हॉन्ग कॉन्ग में हो रहे प्रदर्शनों को चीन की सरकार ने अवैध सभा करार दिया है. चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि चीन सरकार को भरोसा है कि हॉन्ग कॉन्ग के अधिकारी कानूनी तौर पर आंदोलन से निबट लेंगे.