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लाइपजिग ने मनाई शांतिपूर्ण क्रांति की वर्षगांठ

९ अक्टूबर २०१४

जर्मन शहर लाइपजिग में 25 साल पहले शांतिपूर्ण क्रांति की शुरुआत की वर्षगांठ मनाई गई. यहां पहुंचे प्रमुख राजनेताओं ने राजनीति में लोगों की भागीदारी की मांग की तो जर्मन राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jan Woitas

25वीं वर्षगांठ जश्न मनाने का मौका होती है. साम्यवादी जीडीआर में एकदलीय व्यवस्था के खिलाफ विशाल जनरैली की 25वीं वर्षगांठ पर जर्मन राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में और सक्रियता से भाग लेने तथा नफरत और असहिष्णुता का विरोध करने का आह्वान किया. 9 अक्टूबर 1989 को सोमवार रैली में 70,000 लोगों ने सड़कों पर उतर कर आजादी और लोकतंत्र की मांग की थी. उन्होंने 'हम जनता हैं' का नारा लगाते हुए शहर में रैली निकाली.

स्टार संगीतज्ञ कुर्ट माजुर सहित छह शख्सियतों ने एक साझा अपील में लोगों के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल न करने की अपील की. एक महीने बाद 9 नवम्बर को बर्लिन दीवार गिरा दी गई और इसके साथ जर्मन और यूरोपीय एकीकरण की शुरुआत हुई. दीवार गिरने के बाद एक के बाद एक पूर्वी यूरोपीय देशों में कम्युनिस्ट सत्ताओं का पतन होता गया. एक साल बाद 3 अक्टूबर 1990 को जर्मन एकीकरण हुआ और शीतयुद्ध की समाप्ति हुई.

Joachim Gauck Leipzig 09.10.2014
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jan Woitas

25वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोही सभा में राष्ट्रपति ने मांग की कि जर्मनी को यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. लाइपजिग के प्रसिद्ध ऑपेरा हाउस गेवांडहाउस में 1,700 मेहमानों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति गाउक ने कहा, "हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे लोकतंत्र को सिर्फ चरमपंथियों, धर्मांधों और हठी विचारकों से ही खतरा नहीं है. यदि नागरिक उसे जीवन से नहीं भरेंगे तो वह चरमरा जाएगा." गाउक ने इतिहास से सबक लेते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ज्यादा योगदान देने की अपील की और कहा कि ऐसा करने पर ही "असहिष्णुता, राष्ट्रवादी हेठी, घृणा और हिंसा को जमीन नहीं मिलेगी."

राष्ट्रपति गाउक ने, जो स्वयं पूर्वी जर्मनी के हैं और साम्यवादी शासन का विरोध करने वालों में शामिल थे, जीडीआर के साम्यवादी शासन के पतन में बहुत से लोगों के योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा कि इसीलिए उन्होंने इस दिन हंगरी, पोलैंड, चेक गणतंत्र और स्लोवाकिया के राष्ट्रपतियों को भी आमंत्रित किया है. उन्होंने भावुक होकर कहा, "यहां हम एक बार फिर साफ तौर पर कहना चाहते हैं, 9 अक्टूबर के बिना 9 नवम्बर नहीं आता, एकीकरण से पहले आजादी आई."

एमजे/एएम (डीपीए)