लखनवी चिकन
मलमल के कुर्ते पर जालीदार चिकन की कढ़ाई...लखनऊ की पुरानी पहचान. कपड़े पर चिकन का काम आसान नहीं. लखनऊ की गलियां सुनाती हैं इसकी कहानी.
आसान नहीं यह काम
लखनऊ और आस पास करीब 5 लाख औरतें चिकन का काम करती हैं. इनमें ज्यादातर की रोजी रोटी इसी से चलती है. वे एक महीने में औसतन 2500 रुपए तक कमा लेती हैं. कुछ 4000 रुपए तक का भी काम कर लेती हैं.
ठंडक देते रंग
गर्मी के मौसम में सूती कपड़े पर चिकन का खिला खिला काम आंखों को ठंडक देता है. चिकन की मांग आधुनिक फैशन जगत में भी बढ़ती जा रही है. डिजाइनर इसे पोशाकों पर बनवाना पसंद करते हैं फिर चाहे वह ऐश्वर्या राय के लिए कोई पोशाक हो या मिलान या मेलबर्न में किसी फैशन वीक के लिए.
रंगों का कारोबार
चिकन वस्त्रों को तैयार करने में रंगरेज का भी कम योगदान नहीं होता क्योंकि पक्के रंग चढ़ाना उसी की जिम्मेदारी होती है, वो भी इस तरह कि चिकनकारी के धागे का रंग फीका न पड़ने पाए.
मैला न रह जाए
हाथ से कारीगरी के कारण कपड़ा मैला भी दिखने लगता है. तैयार चिकन के वस्त्रों की गोमती नदी में इस तरह धुलाई होती है.
तैयारी में...
धुलाई के बाद गोमती नदी के किनारे ऐतिहासिक पक्के पुल के नीचे का यह दृश्य हमेशा से लुभावना रहा है. चिकन के धुले वस्त्र करीब 40 डिग्री तापमान पर सुखाए जाते हैं.
जाना है दूर
कटाई, सिलाई, रंगाई, कढ़ाई, धुलाई और सुखाने के बाद चिकन के वस्त्र इस तरह गठरी में भर कर रिक्शे पर लाद कर वर्कशॉप में ले जाए जाते हैं जहां इनकी बेहतरीन पैकिंग कर इन्हें विदेश भी भेजा जाता है.
हम तैयार हैं
कभी चिकन का बाजार लखनऊ का चौक ही हुआ करता था लेकिन अब पूरे लखनऊ में चिकन के शोरूम खुल गए हैं जहां ये कपड़े सजा कर रखे जाते हैं.
खस्ता ढांचा
पीढ़ी दर पीढ़ी, मां के साथ बेटी भी, इसी तरह चिकनकारी की कला का विस्तार होता रहा है. लेकिन 1979 में यूनेस्को के एक सर्वेक्षण में पता चला कि चिकनकारी करने वाली करीब 40000 औरतों की हालत कितनी खस्ता है. सारा माल बिचौलिए हड़प कर रहे हैं.
सबसे महंगा
जार्जेट पर चिकन-ये सबसे मंहगा काम है. जार्जेट पर छोटे से छोटा काम भी हजार डेढ़ हजार से कम में नहीं होता. इसका आल ओवर कढ़ाई वाला दुपट्टा 1000 रुपए से कम में नहीं बनता. नवाबों के जमाने वाले डिजाइन पर तैयार की गई साड़ी की कीमत 75000 रुपए तक हो सकती है.
कुर्ता मलमल का
सफेद मलमल से बने पुरुषों के कुर्तों की अलग ही शान है. ईद या कोई अन्य त्यौहार हो तो भी कई रंगों में चिकन के कुर्ते लोग पहनना पसंद करते हैं. लखनऊ में होली तो हमेशा से सफेद चिकन के कुर्ते पाजामे में ही खेली जाती रही है.