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रोहित की आत्महत्या पर तेज हुई राजनीति

महेश झा२१ जनवरी २०१६

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित स्कॉलर की आत्महत्या पर एक ओर राजनीति हो रही है तो दूसरी ओर इस मामले में नए तथ्य सामने आ रहे हैं. यूनिवर्सिटी ने आत्महत्या करने वाले रोहित वेमुला सहित पांच छात्रों का निलंबन वापस ले लिया है.

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तस्वीर: UNI

रोहित वेमुला की आत्महत्या ने विपक्ष को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट कर दिया है तो हैदराबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है. यूनिवर्सिटी ने एग्जक्यूटिव काउंसिल की बैठक के बाद पांच शोध छात्रों का निलंबन वापस लेने का फैसला किया. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह जानकारी आंदोलन कर रहे छात्रों को दी जाएगी. रोहित वेमुला ने 18 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी.

पिछले दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन सहित बहुत से नेताओं ने हैदराबाद का दौरा किया और कैंपस में छात्रों से मिले हैं.

अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी गुरुवार को हैदराबाद पहुंचे और रोहित वेमुला के परिजनों और विरोध कर रहे छात्रों से मुलाकात की. वहां उन्होंने जय भीम के नारे भी लगाए.

कांग्रेस नेता संजय झा ने ट्वीट कर कहा है कि एक दोस्त के अनुसार वेमुला की आत्महत्या नस्लवाद, जातिवाद और कट्टरपंथी राजनीति के घातक मिश्रण का नतीजा है.

विपक्ष बीजेपी को निशाना बना रहा है तो बीजेपी के समर्थक विपक्ष पर निशाना साध रहे हैं. एक यूजर ने अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए लिखा है.

मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि रोहित वेमुला की आत्महत्या का मामला दलित बनाम गैर दलित का टकराव नहीं है. लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय और खुद अपने मंत्रालय के हस्तक्षेप के आरोपों के बचाव में उनके द्वारा दी गई दलीलों के बाद उनके इस्तीफे की मांग उठ रही है.

रोहित वेमुला ने आत्महत्या से पहले लिखे गए अपने पत्र में किसी का नाम तो नहीं लिया था लेकिन बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी के साथ विवाद के सिलसिले में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय द्वारा शिक्षा मंत्री को लिखे गए एक पत्र के कारण एफआईआर में उनका नाम भी दर्ज कराया गया है. इस पत्र में दत्तात्रेय ने रोहित वेमुला को राष्ट्र विरोधी कहा था. बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने पार्टी के सदस्यों के रवैये पर असंतोष जाहिर किया है.

आत्महत्या के बाद सामने आ रहे तथ्यों से पता चलता है कि छात्र राजनीति में सक्रिय रोहित वेमुला पर विभिन्न तरह का दबाब था. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता एन सुशील कुमार द्वारा दायर एक शिकायत के सिलसिले में पुलिस ने रोहित को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था तो दूसरी ओर होस्टल के वार्डन ने 18 दिसंबर को साढ़े 9 हजार रुपये के बकाये का भुगतान करने या होस्टल खाली करने का अल्टीमेटम दिया था. बकाया न चुकाने पर रोहित के कमरे को सील कर दिया गया. यूनिवर्सिटी के रवैये के विरोध में अब 10 से ज्यादा दलित प्रोफेसरों ने इस्तीफा दे दिया है.

हैदराबाद के अलावा पिछले दिनों में दूसरे शहरों में भी छात्र परदर्शन हुए हैं. सोशल मीडिया पर रोहित की आत्महत्या से जुड़े मुद्दों की जोरदार चर्चा हो रही है. अभिनेत्री गुल पनाग ने लिखा है कि अस्मिता से जुड़े पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

राजनीति से परे पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने राजनीतिक दलों से मांग की है कि राजनीति करने के बदले वे सहानुभूति दिखाएं और एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल रोहित के परिजनों से मिलकर संवेदना व्यक्त करे.