रैलियों के रेले से रेलवे की चांदी
२२ जनवरी २०१४प्रधानमंत्री पद के बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की यूपी में पांच रैलियां हो चुकी हैं और तीन होनी हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की तीन बड़ी रैलियां हो चुकी हैं और बीएसपी ने अपनी प्रमुख मायावती के जन्मदिन पर लाखों की भीड़ वाली 'सावधान रैली' कर सभी को फिर चकित कर दिया.
इन रैलियों से पार्टियों को क्या फायदा होगा यह तो चुनाव नतीजे बताएंगे फिलहाल इसका फायदा रेल मंत्रालय को पहुंच रहा है. उत्तर रेलवे के सीनियर डीसीएम अश्विनी श्रीवास्तव के मुताबिक "करीब 10 करोड़ रुपये की आमदनी का अनुमान" है. ट्रांसपोर्ट कंपनियां भी करीब चार करोड़ रुपये कमा चुकी हैं और उन्हें इतनी ही आय और होने का अनुमान है. मीना ट्रांसपोर्ट शब्बीर हसन खासे उत्साहित हैं कि चुनाव ने उनकी पुरानी बसों की डेंटिंग पेंटिंग करा दी. उत्तर प्रदेश रोडवेज भी कमा रहा है, बीएसपी रैली में उसने 100 अतिरिक्त बसें चलाईं.
करोड़ों रुपये के श्रोता
रेलवे तो यात्रियों से ज्यादा रैलियों से वसूल रहा है. बुक होने वाली ट्रेनों से उनके रख रखाव के नाम पर 30 फीसदी मेंटेनेंस चार्ज, 3.8 प्रतिशत सेवा कर और दो फीसदी विकास चार्ज वसूल रहा है. रेलवे 900 रुपये प्रति कोच प्रति किलोमीटर के हिसाब से ट्रेनें बुक करता है. इस हिसाब से 18 कोच वाली एक ट्रेन 15 से 18 लाख रुपये में रिजर्व होती है. अतिरिक्त कोच मांगने पर 200 किलोमीटर का किराया प्रति कोच पड़ता है.
बेहद शानो शौकत से जन्मदिन मनाने के लिए विख्यात मायावती ने इस बार मुजफ्फरनगर दंगों के कारण 15 जनवरी को अपना जन्मदिन नहीं मनाया लेकिन सावधान रैली में लाखों की भीड़ जुटाई. 19 ट्रेनें, 1750 बसें बुक की गईं और करीब 4000 कारों में भर कर आए लोग इस रैली में शामिल हुए. 400 माइक लगे, 19 लाख रुपये की बिजली और लाखों का खान पान. रैली स्पेशल के अलावा ट्रेनों से आने जाने वालों के लिए पूर्वोत्तर रेलवे ने 10 और उत्तर रेलवे ने दो अतिरिक्त काउंटर लगाए. दिल्ली से एक विशेष विमान में भी लोग आए.
अभी बाकी है
उधर बीजेपी ने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की लखनऊ में होने वाली दो मार्च की रैली के लिए 27 ट्रेनें बुक की हैं. मोदी की रैली में करीब 3000 बसें और इतनी ही कारों के आने का भी अंदाजा है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता विजय पाठक कहते हैं कि इस ऐतिहासिक रैली के लिए बहुत व्यापक तैयारी है. उन्होंने बीएसपी का नाम लिए बगैर कहा कि उससे ढाई गुना अधिक भीड़ मोदी को सुनने के लिए उमड़ेगी. हालांकि एसपी महासचिव राम गोपाल यादव ने बीएसपी रैली को 100 करोड़ रुपये का तमाशा करार दिया लेकिन एसपी की अब तक हुई तीन रैलियां में करीब 5000 बसें लोगों को ढो चुकी हैं. कांग्रेस की अभी तक कोई बड़ी रैली नहीं हुई है.
दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के समाज शास्त्र के प्रोफेसर विवेक कुमार के मुताबिक, "बीएसपी को छोड़ किसी भी पार्टी की रैली में वोटर नहीं, भीड़ भरकर लाई जाती है और केवल मायावती की रैलियां ही प्रासांगिक हैं. आम आदमी से संवाद स्थापित करने के लिए की जाने वाली इन पारंपरिक रैलियां अब शक्ति प्रदर्शन का तमाशा बन कर रह गई हैं."
रिपोर्टः सुहेल वहीद, लखनऊ
संपादनः अनवर जे अशरफ