रूचिका केस: राठौड़ की सजा बढ़ी
२५ मई २०१०हरियाणा के पुलिस महानिदेशक रहे राठौड़ को एक सीबीआई कोर्ट ने उभरती टेनिस खिलाड़ी रूचिका गिरहोत्रा के साथ छेड़छाड़ का दोषी पाया था और छह महीने क़ैद तथा 1000 रुपए जुर्माने की सजा दी थी.
12 अगस्त 1990 में जब यह मामला हुआ था, तब रूचिका 14 साल की थी और राठौड़ लॉन टेनिस संघ के अधिकारी थे. तीन साल बाद रूचिका ने आत्महत्या कर ली थी.
राठौड़ ने इस सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की थी, जबकि रूचिका के परिवार वालों और सीबीआई ने सज़ा को कम से कम बढ़ाकर 2 साल करने की अपील की थी. सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई 3 से 11 मई तक हर रोज़ हुई.
आज कोर्ट में राठौर ने अपने आप को दिल की बीमारी का मरीज़ बताते हुए जेल से बचने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने उनकी मांग को ठुकराते हुए जेल के मेडिकल ऑफिसर को राठौड़ की मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया.
रुचिका केस पर सारे देश की निगाहें लगी थी. पहले तो इस केस को रुचिका की दोस्त और घटना की चश्मदीद आराधना प्रकाश अकेले ही लड़ रही थी, लेकिन बाद में मीडिया और सामाजिक हस्तियों के समर्थन से केस में राष्ट्रीय दिलचस्पी बढ़ गई. सबकी ज़बान पर एक ही बात थी की रुचिका को इन्साफ मिले. दिल्ली और चंडीगढ़ में बहुत सी रैलियों में रूचिका के लिए इन्साफ की मांग की गयी.
आज जब फैसला सुनाया गया तो सिडनी में रह रही आराधना ने टीवी चेनल्स पर अपनी खुशी ज़ाहिर की. आराधना की इस लड़ाई में उनके माता पिता ने भी बराबर का साथ दिया और आज कोर्ट में आराधाना के पिता आनंद प्रकाश भी मौजूद थे. उन्होंने इसे एक ''ऐतिहासिक फैसला'' बताया.
रुचिका की तरफ से केस लड़ रहे वकील पंकज भरद्वाज ने फैसले पर ख़ुशी ज़ाहिर की और मीडिया का खास शुक्रिया जताया. रुचिका के पिता सुभाष चंदर गिरहोत्रा ने कहा की उनकी बेटी को इन्साफ मिल गया. लेकिन उन्होंने यह भी कहा की अभी लड़ाई ख़तम नहीं हुई है. ''अभी हमें राठौर पर रुचिका को आत्महत्या पर मजबूर करने का केस भी दुबारा उठाना है और मुझे विश्वास है की हमें उसमे भी सफलता मिलेगी.''
राठौड़ के वकीलों ने कहा है कि वे इस फैसले के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में अपील करेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा/नौरिस प्रीतम, नई दिल्ली
संपादन/उज्ज्वल भट्टाचार्य