रिचर्ड वर्मा होंगे भारत में अमेरिकी दूत
१९ सितम्बर २०१४वर्मा इससे पहले 2009-2011 के बीच अमेरिकी विदेश मंत्रालय में कानूनी मामलों के विभाग को देख चुके हैं. वह फिलहाल स्टेपटो एंड जॉनसन लॉ फर्म में वरिष्ठ वकील की हैसियत से काम कर रहे हैं. यह ग्रुप पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री मैडलीन अलब्राइट चलाती हैं.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने बताया कि वर्मा भारत में पूर्व राजदूत नैंसी पॉवेल की जगह लेंगे, जिन्होंने भारत के साथ तल्ख रिश्तों के बाद मार्च में इस्तीफा दे दिया था. भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की न्यूयॉर्क में गिरफ्तारी और उनके साथ कथित तौर पर अमानवीय बर्ताव की वजह से भारत और अमेरिका के रिश्ते बेहद बिगड़ गए थे. फिलहाल भारत में अमेरिकी काम काज कैथलीन स्टीफेंस चला रही हैं.
प्रधानमंत्री मोदी 29-30 सितंबर को अमेरिका का दौरा करने वाले हैं और समझा जाता है कि इसकी मदद से दोनों देशों के रिश्ते बेहतर करने की कोशिश होगी. गुजरात में हुए 2002 के दंगों की वजह से मोदी को अमेरिका ने लंबे वक्त तक वीजा नहीं दिया था. दंगों के वक्त मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
अमेरिका कई मुद्दों पर भारत को स्वभाविक सहयोगी मानता है, जिनमें सुरक्षा और एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने का मुद्दा शामिल है. पहले कार्यकाल के दौरान 2010 में ओबामा ने कहा था कि भारत और अमेरिका के रिश्ते 21वीं सदी में साझीदारी की परिभाषा तय करेंगे लेकिन उसके बाद से दोनों देशों में बहुत गर्मजोशी नहीं रही है.
भारतीय मूल के राजदूत पर कुछ विश्लेषकों ने सवाल उठाया है. उनका कहना है कि ओबामा को किसी भारी भरकम शख्सियत को यह जिम्मेदारी देनी चाहिए थी. वैसे वर्मा 2008 से ओबामा के साथ हैं, जब उन्होंने ओबामा के राष्ट्रपति पद के चुनाव के वक्त उनके भाषणों को परखा था. हालांकि उनके नाम की पुष्टि अमेरिकी संसद फिलहाल नहीं कर पाएगा क्योंकि ज्यादातर सांसद चार नवंबर को होने वाले मिड टर्म चुनाव के लिए अपने अपने क्षेत्रों का छह हफ्ते का दौरा कर रहे हैं.
ओबामा के किसी भी फैसले की पुष्टि आसानी से नहीं हो पाती है. कई दूसरे राष्ट्रों के चयनित राजदूतों की पुष्टि भी होनी बाकी है.
एजेए/एमजी (रॉयटर्स)