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राजनीतिक लड़ाई में पुलिस का इस्तेमाल

निर्मल यादव९ जून २०१५

भारत में कानून के उलझाने वाले जाल की हकीकत किसी से छुपी नहीं है. जनता के बाद अब दिल्‍ली की सरकार इन दिनों नियम और कानूनों की इस उलझन में ऐसी जकड़ रही है कि कानून मंत्री ही अब इसका शिकार बन बैठे हैं.

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तस्वीर: Reuters

इसे दुर्योग ही कहेंगे कि दिल्‍ली में सत्‍तारूढ आम आदमी पार्टी के कानून मंत्री ही हर बार गाहे ब गाहे कानून के पचड़े में फंस जाते हैं. 49 दिन की पिछली सरकार में सोमनाथ भारती ने नस्‍लभेदी टिप्‍पणियों के चलते कानून सिर पर उठा लिया था और इस बार जितेन्‍द्र सिंह तोमर के फर्जी डिग्री मामले ने उन्‍हें रातोंरात सलाखों के पीछे भेज दिया. बात भले ही विवाद की हो लेकिन इस पूरे प्रकरण में पुलिस, केन्‍द्र सरकार और उपराज्‍यपाल नजीब जंग के साथ केजरीवाल सरकार के एक महीने से जारी टकराव को ही मूल वजह माना जा रहा है.

तोमर मामले में तो हद तब हो गई जब पुलिस ने मामला हाईकोर्ट में लंबित होने के बावजूद एक मंत्री को उसके विशेषाधिकारों को नजरंदाज कर अचानक घर से हिरासत में ले लिया.पुलिस ने पूछताछ के नाम पर तोमर को एक थाने से दूसरे थाने तक ले जाकर दिल्‍ली सरकार की इज्‍जत सड़क पर उतारने का संदेश भी दे डाला. कानून और प्रशासनिक मामलों के जानकार इस मामले में पुलिस के रवैये और उसकी मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

पुलिस की मंशा पर सवाल

घटनाक्रम को अगर देखा जाए तो पुलिस का रवैया उसकी मंशा को दागदार बना देता है. साथ ही यह भी स्‍पष्‍ट करता है कि दिल्‍ली में मौजूदा हालात के पीछे अहं का टकराव मुख्‍य वजह है. जिसके कारण सभी पक्षकार चाहे दिल्‍ली सरकार हो या केन्‍द्र सरकार, उपराज्‍यपाल हों या दिल्‍ली पुलिस, अब कानून की धज्जियां उड़ाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. तोमर मामले को ही अगर देखें तो यह मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है. कोर्ट और दिल्‍ली बार कांउसिल ने पिछले महीने दिल्‍ली पुलिस को तोमर की डिग्री फर्जी होने की जांच करने का ओदश दिया था. पुलिस ने इस पर अभी महज शिकायत दर्ज की है. इस बीच तोमर हाईकोर्ट में हलफनामा देकर अपनी डिग्री सही होने के सबूत भी पेश कर चुके हैं. अदालत अगस्‍त में मामले की अगली सुनवाई के समय इन सबूतों पर विचार करेगी.

इस बीच दिल्‍ली पुलिस को अचानक ऐसी क्‍या सूझी कि मंगलवार सुबह तोमर को पूछताछ के लिए घर से हिरासत में ले लिया. इससे पहले सोमवार देर रात इस बात के संकेत मीडिया तक को मिल गए थे कि दिल्‍ली पुलिस मंगलवार तड़के केजरीवाल सरकार के किसी मंत्री को हिरासत में ले सकती है. शक की सुई तोमर पर जाना लाजिमी था. तोमर को हिरासत में लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक उनके खिलाफ शिकायत पर एफआईआर दर्ज करना जरूरी था. इसलिए पुलिस ने मंगलवार तड़के तीन बजे तोमर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की औपचारिकता पूरी कर उन्हें सुबह हिरासत में ले लिया.

वरिष्‍ठ कानूनविद इंदिरा जयसिंह और पूर्व न्‍यायाधीश एसएन धींगरा पुलिस के इस रवैये को संदेहास्‍पद बताते हुए एक मंत्री के विशेषाधिकार का हनन भी मानते हैं. उनके मुताबिक कानूनन पुलिस को किसी मंत्री को हिरासत में लेने या पूछताछ करने से पहले विधानसभा अध्‍यक्ष को सूचित करना होता है. स्‍पीकर रामनिवास गोयल का कहना है कि उनसे पुलिस ने ना तो पूर्वानुमति ली और ना ही सूचित तक किया.

पहले से ही केन्‍द्र सरकार, उपराज्‍यपाल और पुलिस प्रशासन के साथ बहुस्‍तरीय टकराव से जूझ रही केजरीवाल सरकार के लिए इस प्रकरण ने टकराव का एक नया मार्ग प्रशस्‍त कर दिया है. स्‍पीकर ने इसे सदन के विशेषाधिकार हनन का मामला बताते हुए पुलिस आयुक्‍त को तलब करने की बात कही है. साफ है कि अब तक टकराव से तटस्‍थ रही विधानसभा भी इस गैरजरूरी जंग का हिस्‍सा बन जाएगी.

अहं की लड़ाई

हकीकत के आइने में अगर इस पूरे मामले को देखा जाए तो यह लड़ाई दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य का दर्जा दिलाने की दिख भले ही रही हो लेकिन इसके पीछे की सियासी हकीकत राजनीतिक शिखर छूने की है. बात चाहे दिल्‍ली के कानूनी हक के लिए अधिकारियों के तबादले तैनाती का मामला उछालना हो या भ्रष्‍टाचार निरोधक शाखा को अपने मातहत लेने का मसला हो, केजरीवाल सरकार की बंदूक से निकली हर गोली का निशाना प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की तरफ ही होता है. दरअसल केजरीवाल यह जानते हैं कि मौजूदा सियासी दौर में मोदी को टक्‍कर देने वाला कोई और नेता नहीं है. साथ ही मोदी ने सत्‍ता के शिखर तक पहुंचने के लिए जिस तरह से सुर्खियों में रहकर मीडिया का जमकर इस्‍तेमाल किया, केजरीवाल भी उसी हथियार को सियासी स्‍टंटबाजी की धार देकर चला रहे हैं.

मुसीबतों के जंजाल में जकड़ी दिल्‍ली की जनता के मन में वह ये संदेश देने में कामयाब रहे कि केन्‍द्र सरकार दिल्‍ली को कानूनी उलझनों में फंसा कर अधिकारों से वंचित कर रही है. सच के इन तमाम धुंधले पहलुओं के बीच एक बात तो साफ है कि देश की राजधानी इस टकराव के चलते कूड़े के ढेर में तब्‍दील हो चुकी है. सियासत की स्‍याह तस्‍वीर के आगे कानून को भी बदरंग करने का खेल दिल्‍ली के मार्फत दुनिया देख रही है और केजरीवाल एंड कंपनी एक नयी राजनीति शुरू करने के अपने पुराने जुमले पर इठलाती नजर आ रही है.