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रंजिश की तैयारी

१८ मई २०१३

गांधी नेहरू परिवार के सियासी कुरुक्षेत्र में भाजपा अपने ’गांधी’ के जरिए सेंध लगाने की तैयारी में है. वरुण विरासत की दुहाई देकर कांग्रेस युवराज राहुल गांधी की सीट अमेठी से सटे सुलतानपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.

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तस्वीर: DW

2009 के चुनाव में भड़काऊ भाषण देने के आरोप से हाल ही में वरुण चमत्कारिक रूप से बरी हुए हैं. अगले चुनावों में इस कुरुक्षेत्र की सियासी लड़ाई बेहद रोमांचक होने वाली है क्योंकि रायबरेली से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी की राजनीतिक विरासत संभालने की पक्की तैयारी प्रियंका वाड्रा ने भी कर ली है.

वरुण गांधी ने अपने चचेरे भाई और ताई के बगल वाली सीट पर चुनावी जंग छेड़ भी दी है. गुरुवार को चिलचिलाती धूप में जब पारा 42 डिग्री पार कर रहा था तो वरुण गांधी सुलतानपुर में स्वाभिमान रैली में अपने पिता के सियासी वारिस के रूप में बोल रहे थे. हालांकि विरासत का मामला थोड़ा पेचीदा है. संजय गांधी ने अमेठी से 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा और जनता पार्टी की लहर में हार गए. 1980 में दोबारा लड़े तो पहली बार जीते. फिर इस सीट से राजीव गांधी ने चुनाव लड़ना शुरु किया और वरुण की मां मनेका गांधी ने राजीव के खिलाफ चुनाव लड़ा और हार गईं. रायबरेली के बुजुर्ग राजनीतिक विश्लेषक शिव मनोहर पांडेय सियासी विरासत की बात से सहमत नहीं हैं, उन दिनों परिसीमन चल रहा था तो इंदिरा जी ने संजय के लिए अपनी सीट रायबरेली से सलोन और तिलोई, सुलतानपुर से जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी विधानसभा सीटें निकलवाकर अमेठी संसदीय सीट बनवा दी थी. रैली में पसीना बहा रहे सुलतानपुर के वरिष्ठ वकील डीके सिंह भी वरुण की बात से इत्तेफाक नहीं रखते.

Varun Gandhi in Lucknow Lakhnau
तस्वीर: DW

पिता की सियासी विरासत की लड़ाई में कूदे वरुण पीलीभीत में 2009 के चुनाव में मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने के मुकदमों से बरी हो गए हैं, लेकिन मुस्लिम संगठनों के दबाव में अब यूपी सरकार पीलीभीत कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने जा रही है. एक पत्रिका के स्टिंग से पता चला कि मुकदमों से बरी होने में वरुण ने न्यायिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ा दीं. उन पर भड़काऊ भाषण देने के दो मामले बरखेड़ा, डालचंद में और पीलीभीत कोर्ट में समर्पण करने के दौरान दंगा भड़काने, पुलिस पर हमला करने, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने के तहत तीन मुकदमे दर्ज हुए. उन्हें 28 मार्च 2009 को गिरफतार किया गया और फार्रुखाबाद जेल में वे 20 दिनों तक बंद रहे. छूटे तो जेल के गेट पर ही अपनी सांसद मां मनेका गांधी से लिपट कर रोने लगे.

छूटे कैसे

वरुण के बरी होने की कार्रवाई अदालत में बिल्कुल बालीवुड की मसाला फिल्मों की तरह चली. उनके खिलाफ जो 88 गवाह थे, वे सब मुकर गए. एक-एक दिन में 20-20 गवाहियां हुई. स्टिंग के मुताबिक वरुण ने गवाहों को पैसे देकर तोड़ा. जिला प्रशासन ने धमकाया, पीलीभीत के सपा विधायक रियाज अहमद ने इस काम में अहम भूमिका निभाई. ये रियाज कभी संजय गांधी के मित्र हुआ करते थे. उनकी मौत के बाद मनेका गांधी से काफी समय तक इनके राजनीतिक रिश्ते रहे. अब वह सपा सरकार में राज्य मंत्री हैं. इन्हीं के साथ मनेका ने संजय विचार मंच बनाया था. इस पुराने राजनीतिक रिश्ते की लाज रखते हुए ही वरुण ने रियाज को पीलीभीत से विधायकी का चुनाव जितवाया और जिस भाजपा ने उन्हें सर पर बिठाया हुआ है उसी के प्रत्याशी सतपाल गंगवार को हरवा दिया. इसका खुलासा भी स्टिंग में हुआ. जाहिर है कि बदले में रियाज ने मुस्लिम गवाहों को तोड़ा. पीलीभीत जिला भाजपा अध्यक्ष परमेश्वरी गंगवार इस तथ्य को धीमे से स्वीकार करते हैं.

रिपोर्ट: एस.वहीद, लखनऊ

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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