ये मुद्दे करेंगे फ्रेंच चुनावों का फैसला
फ्रांस में रविवार को दूसरे चरण का राष्ट्रपति चुनाव हो रहा है. मैदान में स्वतंत्र उम्मीदवार इमानुएल माक्रों और उग्र दक्षिणपंथी नेशनल फ्रंट की मारीन ले पेन हैं.
उम्मीदवार
इमानुएल माक्रों स्वतंत्र उम्मीदवार हैं लेकिन उन्हें उदारवादी माना जाता है. वे इन चुनावों में अकेले उम्मीदवार हैं जो खुले आम यूरो और ईयू का समर्थक रहा है. मारीन ले पेन उग्र दक्षिणपंथी नेशनल फ्रंट की हैं जो आप्रवासियों के खिलाफ रही है. वे यूरो और ईयू का भी विरोध कर रही हैं. चुनाव के अंतिम दौर में वे सभी विचार वाले वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं.
शरणार्थी
हालांकि फ्रांस में जर्मनी के मुकाबले बहुत ही कम शरणार्थी आए, लेकिन फिर भी शरणार्थियों का मुद्दा राष्ट्रपति चुनावों में अहम मुद्दा है. जर्मनी के 80 लाख की तुलना में 2016 में फ्रांस में सिर्फ 85 हजार शरमार्थी आये लेकिन कई आतंकी हमलों के बाद धर्मनिरपेक्ष देश में मुसलिम आबादी के साथ तनाव बढ़ गया है.
आतंकवाद
आतंकवाद और सुरक्षा के मामले में दोनों ही उम्मीदवारों ने सख्त रवैया अपनाया है. लेकिन शरणार्थी और विदेशी विरोधी पार्टी होने के कारण नेशनल फ्रंट की ले पेन को इस मुद्दे पर लाभ मिलेगा. फ्रांस के सैकड़ों लोग सीरिया और इराक में लड़ने गये थे और अब लौट आये हैं. उनसे निबटना सरकार की चुनौती होगी.
बेरोजगारी
किसी भी सरकार के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती होगी. 90 प्रतिशत मतदाता भी इसे अहम मुद्दा मानते हैं. देश में बेरोजगारी का मुकाबला करने में विफलता ले पेन की उग्र दक्षिणपंथी पार्टी की लोकप्रियता का प्रमुख कारण है. माक्रों ने श्रम बाजार में सुधारों की बात कही है तो ले पेन विदेशियों को रोजगार देने पर टैक्स लगायेंगी.
संरक्षणवाद
अमेरिकी चुनावों और ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह के बाद वैश्वीकरण और संरक्षणवाद का मुद्दा पश्चिमी देशों में चुनावों के केंद्र में आ गया है. पहले खुली अर्थव्यवस्था की वकालत करने वाले देश अब इसमें नौकरियों का नुकसान देख रहे हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को सुरक्षा देने की वकालत कर रहे हैं. ईयू समर्थक माक्रों ने फ्रांस को फिर से औद्योगीकृत करने की बात कही है, जबकि ले पेन संरक्षणवादी हैं.
सामाजिक सुरक्षा
सरकारी खर्च घटाने की मजबूरी सामाजिक सुरक्षा और सरकारी नौकरियों पर तलवार की तरह लटक रही है. फ्रांस में 52 लाख लोग सरकारी नौकरियों में हैं जो कुल वर्कफोर्स का 20 प्रतिशत है. ले पेन की नौकरियों में कटौती की कोई योजना नहीं है, लेकिन माक्रों की नीतियां इसके समर्थन में हो सकती हैं. सीजीटी सहित तीन प्रमुख ट्रेड यूनियन उन्हें बड़ी पूंजी का प्रतिनिधि मानते हैं.
सरकारी खर्च
नई सरकार को आर्थिक माहौल सुधारने के साथ साथ बजट संतुलन पर काम करना होगा. फ्रांस में सकल राष्ट्रीय उत्पादन का 56.4 प्रतिशत पब्लिक सेक्टर का खर्च है. इसमें 31.5 प्रतिशत सामाजिक कल्याण पर खर्च होता है. इसके साथ उस पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है.