ये आते जाते पंछी..
यूरोप के प्रवासी पक्षी लंबी सर्दियां अफ्रीका या मध्य पूर्व में बिताते हैं. लेकिन गर्मियों में फिर वह यूरोप के आसमान में दिखाई देने लगते हैं.
हवाओं पर सवार
वसंत सिर्फ फूलों के खिलने का मौसम नहीं. यूरोप में यह दूर गए पंछियों के लौटने का भी समय है. हर साल मई के दूसरे सप्ताहांत पर आप्रवासी पक्षी दिवस मनाया जाता है.
ठंडा वसंत
गर्म अफ्रीका में सर्दियां बिताने के बाद सारस यूरोप प्रजनन के लिए लौटते हैं. लेकिन इस वसंत वे पोलैंड में जब उतरे तो वहां भारी बर्फ थी. चूंकि इनका लौटना खुशी का प्रतीक है इसलिए इन्हें ठंड का शिकार होने से बचाने के लिए लोगों ने अतिरिक्त कोशिशें की.
सफेद पेलिकन
इस्राएल में कई पक्षी रुकते हैं. खासकर बड़े सफेद हवासील यानी पेलिकन. औसतन इनका वजन छह से आठ किलो होता है और एक पंख तीन मीटर लंबा. यह दुनिया के सबसे बड़े प्रवासी पक्षियों में शामिल हैं. 2009 से विलुप्त होने का खतरा झेल रही प्रजातियों में शामिल.
टुंड्रा से होते हुए
साइबेरियाई सफेद सारस आर्कटिक इलाके टुंड्रा में पवित्र माने जाते हैं. यह कुल 10 हजार मील का चक्कर लगाते हैं. इनकी संख्या शिकार और आवास नष्ट होने के कारण तेजी से घटी है. 2010 के आंकड़ों के मुताबिक इनकी संख्या अब 3200 ही है.
खास आवाज
केंद्रीय स्लोवेनिया में लुबल्याना दलदल में देश के आधी पक्षी प्रजातियां अंडे देती हैं. इनमें विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी ये चिड़िया कॉर्नक्रेक भी है. इसकी खास आवाज को नर चिड़िया हर रात को 10000 बार दोहराती है.
गर्मियों का आनंद
केंद्रीय यूरोप की ये ब्लैककैप चिड़िया ऊंची झाड़ियों में मिलती है. ये गर्मियां ऑस्ट्रिया और जर्मनी में गुजारती है. इन दिनों यह भूमध्य सागर की बजाए दक्षिणी इंग्लैंड जाने लगी हैं.
लंबा सफर
मीलों की यह यात्रा खतरनाक भी हो सकती है, लंबा रास्ता बिना आराम के. इस कारण पंछी कहीं टकरा भी सकते हैं. उनके रास्ते में बीमारी, शिकारी, खाने की कमी, प्रदूषण, शिकार या प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं.
आवास बचाएं
बुल्गेरिया और रुमेनिया ने हाल में डेन्यूब नदी के किनारों की सुरक्षा का अनुबंध किया है ताकि पेलिकन, बगुले और पनकौवे जैसे पक्षियों को बचाया जा सके. बुल्गेरिया के पास स्रेबार्ना और रुमेनिया के पास कालारासी सहित चार झीलें बनेंगी.
विश्व धरोहर
जर्मनी और हॉलैंड के उत्तरी सागर के पास वॉडेन सी प्रवासी पक्षियों के लिए अहम है. यहां एक साथ करीब 61 लाख पंछी आ सकते हैं. सालाना यहां से करीब एक करोड़ से ज्यादा पक्षी गुजरते हैं.