यूरोपीय सांस्कृतिक राजधानी है इटली का मातेरा
दक्षिण इटली का शहर मातेरा बुल्गारिया के प्लोवजिव की ही तरह 2019 में यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी है. मातेरा शहर अपनी प्रागैतिहासिक गुफाओं के कारण 1993 से ही यूनेस्को के विश्व धरोहरों की सूची में है.
अतीत का पथरीला सफर
रास्ते पियाजा वितोरियो वेनेतो पर आप प्रागैतिहासिक काल से वर्तमान का सफर तय करते हैं. चौराहे के आगे सदियों पुराना भूमिगत जलाशय है. 19वीं सदी का पुराना कंवेंट पालास्तो डेल अनुंसियाटा में अब लाइब्रेरी और सिनेमा हॉल है.
मातेरा कैथीड्रल
रोमन स्थाप्त्य शैली वाला कैथीड्रल 1230 से 1270 के बीच बेनेडिक्ट मोनास्ट्री की जगह पर बनाया गया था, जहां पोप उरबान द्वितीय 1094 में एक रात के लिए ठहरे थे. इसका बाहरी हिस्सा अपने मूल रूप में है जबकि अंदर बहुत सारे परिवर्तन किए गए हैं.
बारोक वैभव
इस कैथीड्रल को 2003 में भीतरी छत का एक हिस्सा गिरने के कारण 13 साल के लिए बंद कर दिया गया था. व्यापाक जीर्णोद्धार के बाद इसे 2016 में फिर से खोला गया है. मरम्मत के दौरान 12 सदी की भित्तिचित्र वाली गुफाएं मिलीं.
पाषाण काल की गुफाएं
1950 के दशक तक मातेरा के बहुत से निवासी सासी इलाके की गुफाओं में रहते थे. पाषाण काल की ये गुफाएं शहर को दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक बनाती हैं. यहां बेनहुर जैसी कुछ फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. कुछ गुफाओं में इन दिनों कॉफी हाउस और रेस्तरां हैं.
बहता पानी
मातेरा की पहाड़ियों में बने रिहायश प्राचीन सभ्यता के अत्यंत महत्वपूर्ण नमूनों में शामिल हैं. ये गुफाएं सिर्फ आग से सुरक्षित नहीं हैं, वे एक दूसरे से जुड़ी हुई भी हैं. जलाशयों और नहरों का एक व्यापक सिस्टम गुफा में रहने वाली जगहों को जोड़ता है वहां रहने वालों तक पानी पहुंचाता है.
चट्टानों पर चर्च
चट्टानों पर खुदे चर्च मातेरा के खास पैनोरामा का हिस्सा हैं. सांता मारिया चर्च 12वीं सदी में बना था. यहां आने वाले दर्शक एक सुरंग से होते हुए सैन जोवानी तहखाने से होकर यहां आते हैं. और यहां उन्हें देखने को मिलता है पांच शताब्दियों का मनमोहक भित्तिचित्र.
मध्ययुग से वर्तमान में
18वीं सदी में बना पालात्सो लानफ्रांची पहले पादरियों का स्कूल हुआ करता था. बाद में उसे सेकंडरी स्कूल बना दिया गया. यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों में एक थे इटली के प्रसिद्ध कवि जोवानी पासकोली. 2003 से यह महल मध्य युगीन और आधुनिक कला का संग्रहालय है.
अफ्रीका के सैलानी
साल यहां करीब 1000 घरमुतिया बाज गर्मियां बिताने आते हैं. यह पक्षी लुप्त होने के खतरे में है और यूरोप के दूसरे हिस्सों में खत्म हो गया है. लेकिन वसंत में अफ्रीका से ये छोटे बाज मातेरा की गुफाओं और आस पास के इलाकों में अपने बच्चों को बड़ा करने आते हैं.
मुर्गिया मातेराना पार्क
मातेरा के भव्य टाउनस्केप का नजारा ग्रावीना नदी के दूसरी ओर स्थित मुर्गिया मातेराना पार्क से लिया जा सकता है. मातेरा की चट्टानों के ऊपर बने कई चर्चों के कारण भी शहर को यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया गया है. रिपोर्ट: आंद्रेयास किर्षहोफ