यूरोपियन चैंपियनशिप से बाहर रेम
१ अगस्त २०१४उल्म में हुई जर्मन चैंपियनशिप में नकली दाहिने पैर की मदद से मार्कुस रेम ने जब 8.24 मीटर लंबी छलांग मारी तो दर्शकों से ज्यादा हैरानी अधिकारियों और बाकी खिलाड़ियों को हुई. मुकाबला जीतने के साथ ही यूरोपियन चैंपियनशिप में उनकी एंट्री तय हो गई. लेकिन इस बीच ऐसी रिपोर्टें भी आने लगी कि मार्कुस को कृत्रिम पैर की वजह से फायदा मिला. फायदा इतना ज्यादा था कि सामान्य खिलाड़ियों पर भी भारी पड़ा.
बढ़ते विवाद के बीच जर्मन एथेलेटिक्स फाउंडेशन (डीएलवी) ने मार्कुस की भागीदारी को रद्द कर दिया. डीएलवी के मुताबिक जर्मन चैंपियनशिप के दौरान खिलाड़ियों का बायोमैट्रिक मेजरमेंट किया गया, इसमें पता चला कि शायद नकली पैर रेम को गलत तरीके से मदद दे रहा है. संघ का कहना है कि कार्बन फाइबर से बना नकली पैर एक तरह की गुलेल का काम कर रहा है और लंबी कूद में मार्कुस की मदद कर रहा है. यूरोपियन चैंपियनशिप 12 से 17 अगस्त तक स्विस शहर ज्यूरिख में होनी है.
रेम इससे आहत हैं. गुरुवार को उन्होंने कहा, "अगर यह साबित हो जाता है कि प्रोस्थेसिस की वजह से मुझे फायदा पहुंचा तो साल भर में मैंने कूदने के जितने भी मुकाबले जीते हैं, मैं उनके खिताब वापस कर दूंगा." उनके मुताबिक पहले वैज्ञानिक आधार पर उनके प्रोस्थेसिस (कार्बन फाइबर से बना नकली पैर) की समीक्षा होनी चाहिए, उसके बाद ही किसी तरह के नतीजे पर पहुंचना चाहिए.
लंबी कूद के खिलाड़ी ने संघ के फैसले को अदालत में चुनौती देने से इनकार किया, लेकिन साथ ही कहा, "मैं कोई न्यायिक कदम नहीं उठाऊंगा लेकिन मैं हर उस संभावना का इस्तेमाल करुंगा जिसके सहारे यह साबित कर पाऊं कि मुझे फायदा नहीं मिला. लोगों को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि मैं सिर्फ प्रोस्थेसिस की वजह से जीता. यह पूरी तरह गलत सोच होगी."
रेम के साथ ही कई और विशेषज्ञों ने भी डीएलवी के बायोमैट्रिक मेजरमेंट पर सवाल उठाए हैं. संघ का कहना है कि वो इस मामले की विस्तृत जांच कराएगा. जर्मन ओलंपिक समिति से भी सलाह मांगी जाएगी.
दक्षिण अफ्रीका के विकलांग धावक ऑस्कर पिस्टोरियस भी चार साल की अदालती लड़ाई के बाद 2012 के लंदन ओलंपिक में हिस्सा ले सके. पिस्टोरियस के दोनों पैर नकली हैं. वह 2011 की वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2012 के ओलंपिक में 400 मीटर और 4x400 मीटर रिले रेस में हिस्सा लेने वाले पहले विकलांग खिलाड़ी बने.
ओएसजे/एमजी (एपी)