यूपी दंगों का चुनावी असर
८ अप्रैल २०१४राज्य में पहले चरण में 10 अप्रैल को मुजफ्फरनगर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 10 संसदीय क्षेत्रों सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर और अलीगढ़ में मतदान होना है. इन क्षेत्रों में कैराना, सहारनपुर, बिजनौर, बागपत और मुजफ्फरनगर में दंगों का प्रभाव था.
दंगों की वजह से समाजवादी पार्टी के प्रति मुस्लिमों में जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है, जिसे कम करने के लिए पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने काफी कोशिश की हैं.
मुसलमानों ने दंगों को रोकने के लिए किए गए उपायों को कम बताया. कई मुस्लिम नेताओं ने दंगों के बाद मुहैया कराई गई राहत पर भी सवाल खड़े किए. मुख्यमंत्री समेत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता दंगा पीडितों को दी गई राहत का बार बार जिक्र करते हुए दावा करते हैं कि "अभी तक जितने भी दंगे हुए हैं, उसमें इतनी तेजी और पर्याप्त ढंग से किसी में राहत नहीं पहुंचाई गई."
पार्टी नेताओं की तमाम कोशिशों के बावजूद मुसलमानों की पहली पसन्द के रूप में इस क्षेत्र में समाजवादी पार्टी को नहीं देखा जा रहा है. कई मुसलमानों का स्पष्ट कहना है, "एसपी भी उनकी सूची में है लेकिन केवल एसपी ही है, अब ऐसा नहीं है."
इन 10 लोकसभा सीटों में 2009 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी केवल एक सीट पर जीत हासिल कर सकी थी. लेकिन उसे इस बार इन 10 सीटों में से ज्यादातर पर जीत मिलने की उम्मीद थी. समीक्षकों की मानें तो मुजफ्फरनगर दंगे ने समाजवादी पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. इस इलाके से मायावती की बीएसपी के पास पांच सीटें हैं. सहारनपुर, अलीगढ़, गौतमबुद्ध नगर, कैराना और मुजफ्फरनगर में बीएसपी प्रत्याशी जीते थे, जबकि अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल बागपत और बिजनौर तथा बीजेपी ने गाजियाबाद और मेरठ में जीत हासिल की थी.
चुनाव प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का शिक्षामित्रों के संबंध में दिया बयान सुर्खियों में रहा, "वोट नहीं देने पर शिक्षामित्रों की नियुक्तियां वापस ली जा सकती हैं."
दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी के कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील करने के बाद मुसलमानों में भ्रम और बढ़ा, हालांकि मुसलमानों की प्रमुख संस्था देवबंद के उलेमाओं ने उनकी अपील को दरकिनार कर दिया. इनका मानना है कि "बीजेपी को हराने के लिए किसी एक दल को सहयोग देना नाकाफी होगा और किसी दल विशेष के पक्ष में वोट की अपील करना अनुचित है".
इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा की अपील ने भी समाजवादी पार्टी की दुश्वारियां बढ़ाईं क्योंकि तौकीर रजा ने मुरादाबाद में बीएसपी उम्मीदवार को जिताने की अपील कर दी. मौलाना तौकीर रजा का मुसलमानों के बरेलवी समूह में अच्छा प्रभाव माना जाता है. राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 20 फीसदी है.
एजेए/ओएसजे (वार्ता)