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मनमानी करने पर तुला फेसबुक

१ फ़रवरी २०१५

फेसबुक को किसी भी तरह के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ा है. नए नियम और शर्तों के अनुसार अब वह अपने सभी यूजर्स से और भी ज्यादा जानकारियां जमा करेगा. जो इससे सहमत ना हों, उन्हें फेसबुक से नाता तोड़ना होगा.

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Symbolbild Facebook Ausfall 27.01.2015
तस्वीर: Reuters/D. Ruvic

30 जनवरी से फेसबुक के नए नियम और शर्तें लागू हो गये हैं. यूजर्स इससे सहमत हैं या नहीं, यह उनसे पूछा नहीं गया है. किसी कागज पर कोई हस्ताक्षर नहीं हैं. यह मान लिया गया है कि अगर लोग फेसबुक पर लॉग-इन कर रहे हैं, तो इससे उनकी सहमती जाहिर होती है. अगर वे शर्तों से सहमत नहीं, तो अपना अकाउंट डिलीट करने के अलावा कोई और उपाय नहीं है.

नई शर्तों के अनुसार फेसबुक के बाहर भी आप इंटरनेट में कब, क्या कर रहे हैं, इस पर फेसबुक नजर रख सकता है. इस जानकारी से यूजर की फेसबुक वॉल पर उसकी पसंद की चीजों से जुड़े खास विज्ञापन दिखाने में फेसबुक को मदद मिलेगी. मिसाल के तौर पर, अगर आप इंटरनेट में कोई किताब, घड़ी या जूता तलाश रहे हैं, तो फेसबुक के पास वह जानकारी पहुंच जाएगी. फेसबुक ने एक ऐसा एल्गोरिदम तैयार किया है, जिसके अनुसार यूजर को अपनी ही रुचि की चीजों के विज्ञापन दिखेंगे. स्मार्टफोन पर इस्तेमाल हो रहे हर ऐप की जानकारी भी फेसबुक तक पहुंचेगी.

फेसबुक की मनमानी

फेसबुक के इस कदम ने डाटा सुरक्षा पर बहस खड़ी कर दी है. हालांकि ऐसा नहीं है कि फेसबुक अब तक ऐसा नहीं कर रहा था. लेकिन अब कंपनी ने नियम और शर्तों में इसे साफ साफ लिख दिया है, जिसके तहत अब यूजर फेसबुक के खिलाफ शिकायत करने का हक भी खो चुके हैं. हैम्बर्ग के डाटा सुरक्षा एक्सपर्ट योहानेस कास्पर का कहना है कि उन्हें पहले ही शक था कि फेसबुक यूजर प्रोफाइल तैयार कर रहा है. कास्पर ने कहा कि उन्हें जर्मनी के सख्त डाटा सुरक्षा कानून पर भरोसा था जिसके कारण वे आश्वस्त थे कि कम से कम जर्मनी में फेसबुक अपनी मनमानी नहीं कर सकता. इसके विपरीत फेसबुक ने साफ कर दिया है कि चूंकि उसका यूरोप का मुख्यालय डबलिन में है, इसलिए जर्मनी के कानून से उसे कोई लेनादेना नहीं है.

इसके अलावा फेसबुक अब तक यह भी कहता आया है कि व्हॉट्सऐप और फेसबुक के डाटा को अलग अलग रखा जाता है. योहानेस कास्पर का कहना है कि भविष्य में इन दोनों को अलग अलग नहीं देखा जा सकेगा. पिछले साल ही फेसबुक ने चैटिंग ऐप व्हॉट्सऐप को खरीद लिया था, जो फेसबुक मेसेंजर ऐप का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी था.

जर्मन संसद में भी उठा मुद्दा

शुरुआती योजना के अनुसार जनवरी की पहली तारीख से ही नई शर्तों का पालन होना था लेकिन इंटरनेट पर मचे शोर के बाद फेसबुक ने अपने यूजरों को एक महीने की मोहलत दी. डाटा सुरक्षा के मामले को जर्मनी में काफी गंभीरता से लिया जाता है. नाजी काल में खुफिया एजेंसियों ने जिस तरह से लोगों का डाटा जमा कर उसका गलत उपयोग किया, उसके बाद से देश में डाटा सुरक्षा काफी संजीदा मुद्दा माना जाता है. यही कारण है कि फेसबुक का मुद्दा जर्मन संसद बुंडेसटाग में भी उठाया गया. उपभोक्ता सुरक्षा कमिटी की अध्यक्ष रेनाटे क्यूनास्ट ने संसद में कहा कि फेसबुक यूजरों के साथ खेल रहा है और "अपने पत्ते भी नहीं खोल रहा". उन्होंने यह भी कहा कि फेसबुक ने जानबूझ कर आयरलैंड के नियमों के अनुसार चलने का फैसला लिया है.

आईबी/आरआर (डीपीए)