यादों से झर चुका झरिया
देश के बेहतरीन कोयले वाला झारखंड का झरिया लोगों की यादों से झर चुका है. काले सोने ने झरिया के लोगों का जीवन भी काला कर दिया है.
जल रहा है झरिया
झरिया में पिछले एक दशक से कोयले की खदानों में आग लगी हुई है, जिसका खामियाजा पर्यावरण और वहां रह रहे लोगों की सेहत को उठाना पड़ रहा है. जमीन से लगातार धुआं निकल रहा है.
गरीबी
झरिया में दो सदियों से कोयला निकाला जा रहा है. लेकिन वहां के लोगों की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है. सरकार ने खनन में निवेश तो किया, पर सामाजिक आर्थिक विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया.
काला सोना
अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया में कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक है. झारखंड के झरिया में देश का बेहतरीन कोयला मिलता है. काले सोने ने झरिया के लोगों का जीवन भी काला कर दिया है.
धुएं में जिंदगी
जिस पैमाने पर वहां आग लगी हुई है उसे बुझाने में बहुत वक्त लगेगा और बहुत पैसा भी. पर्यावरण कार्यकर्ता मानते हैं कि आग पर काबू करना सरकार के लिए कोई आसान काम नहीं है.
कहां जाएं
पिछले दो दशकों से लोगों को झरिया से हटा कर कहीं और बसाने पर चर्चा चल रही है, ताकि आग पर काबू पाया जा सके. लेकिन सही योजना के अभाव में अब तक कुछ हो नहीं पाया है.
कोई भविष्य नहीं
दामोदर घाटी के इस इलाके में रहने वाले लोगों को कहीं और बसाने के लिए दस हजार रुपये का मुआवजा देने की बात भी चल रही है. लेकिन लोगों को भविष्य की चिंता सता रही है.
बीमार बचपन
झरिया का लगभग हर बच्चा दमे का शिकार है. इलाके में और उसके आसपास रहने वाले लोगों को सांस की कई तरह की बीमारियां हैं. इसमें फेफडों का कैंसर भी शामिल है.
अवैध खनन
कई दशकों से यहां कोयले का अवैध खनन भी हो रहा है जो बहुत खतरनाक है. इसकी कोई गिनती नहीं है कि कोयले के अवैध खनन के कारण झरिया में अब तक कितने लोगों की जान गई है.
गंदगी में जीवन
क्या इंसान, क्या जानवर, झरिया में जीवन दूभर है. यहां के लोग पानी के लिए दामोदर नदी पर निर्भर करते हैं. कोयले के अवैध खनन के कारण यहां पानी की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है.
भगवान भरोसे
सरकार ने योजनाएं जरूर बनाई हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ है. झरिया के लोग बस भगवान भरोसे हैं.