यमला, पगला.. का इंतजार
२९ मई २०१३तीनों देओल फिल्म का प्रचार करने अमेरिका पहुंचे. न्यूयॉर्क में डी डब्ल्यू से बातचीत में सनी देओल ने कहा कि केवल पात्र पुरानी फिल्म से लिए गए हैं, कहानी बिलकुल नई है.
भारत में हीमैन का खिताब पा चुके धर्मेंद्र का कहना है, "हम लोग फिल्मों की इस दुनिया में आते ही इसलिए हैं कि दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिले. इसलिए जब कोई इतने प्यार से गरम धरम कहता है या हीमैन, तो अच्छा लगता है."
78 साल के धर्मेंद्र इस फिल्म में कॉमेडी कर रहे हैं, "लेकिन मैं हर तरह की भूमिका कर सकता हूं. मैं नहीं कहता कि मैं बहुत बड़ा एक्टर हूं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनके जिंदगी जीता हूं." और शायद यही कारण है कि जहां उन्होंने शोले, जुगनू, प्रतिज्ञा जैसी फिल्में की हैं, वहीं सत्यकाम और अनुपमा जैसी फिल्मों में बड़ा ही सहज अभिनय किया है.
अपने बेटों के साथ धर्मेंद्र की यह तीसरी फिल्म होगी, "परिवार के साथ काम करना बहुत अच्छा लगता है. बाप बेटों के बीच बराबर का तालमेल रहता है." सनी और बॉबी देओल भी बहुत संतुष्ट होते हैं अपने होम प्रोडक्शन की फिल्म में काम कर के.
बॉबी का तो हंसते हुए मानना था, "फिल्म में मैं अपने पिता, अपने बड़े भाई के साथ ऐसे ऐसे संवादों में बात करता हूं, जो असल जिंदगी में करने की हिम्मत नहीं कर सकता." बॉबी के शब्दों में यमला पगला दीवाना 2 बहुत धामाकेदार फिल्म है.
कम बोलने वाले सनी देओल के अनुसार यदि फिल्म उतनी ही सफल होती है तो उसका सीक्वल आगे भी बनेगा. हाल के सालों में सनी की गिनी चुनी फिल्में ही आई हैं. इस दौरान उनकी सेहत भी अच्छी नहीं रही. उनके मुताबिक कम फिल्में करने की दूसरी वजह "ढंग की कहानी न मिल पाना" है, "मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं हर तरह के रोल करना चाहता हूं. लेकिन मेरे हिसाब से किसी भी फिल्म का सबसे बड़ा स्टार उसकी कहानी होती है जो एक्टर के पात्र को रूप देती है."
बॉबी भी मानते हैं कि कहानी अच्छी होगी तो फिल्म भी अच्छी बनेगी. कई नकारात्मक रोल भी कर चुके हैं, लेकिन वह अपने आप को किसी रोल के लिए पहले से तैयार नहीं करते हैं. वह कहते हैं, "यह कहानी पर निर्भर करता है कि कौन सी फिल्म करनी है. यह भी देखा जाता है कि फिल्म कौन बना रहा है." होम प्रोडक्शन में काम करना उन्हें इसलिए पसंद है क्योंकि वे लोग खुद जुनून के साथ फिल्में बनाते हैं.
धर्मेंद्र आज की फिल्मों को बिलकुल बदला हुआ मानते हैं, "हमारे समय में जिंदगी में ठहराव था. लोगों के पास वक्त था. सहजता के साथ फिल्में बनाई जाती थीं. और उसी आराम के साथ देखी जाती थीं. आज की पीढ़ी जल्दी में है. वह क्रिस्प, कटिंग एज की फिल्में चाहती है." हालांकि वह कहते हैं कि आज के कलाकार भी बहुत प्रतिभाशाली हैं.
रिपोर्टः अंबालिका मिश्रा, न्यूयॉर्क
संपादनः ए जमाल