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यमन युद्ध पांच साल और खिंचा तो 29 अरब डॉलर तैयार रखे दुनिया

२ दिसम्बर २०१९

यमन हमारे समय की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी है. पांच साल में यह संकट एक लाख लोगों को लील चुका है. एक राहत संस्था का कहना है कि अगर ये संकट पांच साल और खिंचा तो इसकी आर्थिक कीमत अरबों में होगी.

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Humanitäre Krise in Jemen
तस्वीर: picture-alliance/M. Hamoud

यमन में मौजूदा संकट की शुरुआत 2014 में ईरान समर्थित हूथी बागियों के विद्रोह के साथ हुई, जिन्होंने कुछ ही दिनों में राजधानी सना पर कब्जा कर लिया. ऐसे में, राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी को भाग कर सऊदी अरब में शरण लेनी पड़ी थी. इसके बाद, सऊदी अरब के नेतृत्व में खाड़ी देशों ने हूथी बागियों के खिलाफ हवाई कार्रवाई की जबकि जमीन पर यमनी सेना उनसे लोहा ले रही है. इस लड़ाई में लगभग एक लाख लोग अब तक मारे जा चुके हैं और लाखों बेघर हुए हैं. हालात ये हैं कि लोगों को खाना और दवाइयों की किल्लत से जूझना पड़ रहा है.

एक राहत संस्था इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यमन की 80 फीसदी आबादी यानी 2.4 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है. इनमें से 1.6 करोड़ लोग लगभग अकाल वाली परिस्थितियों में रह रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध की वजह से यमन की अर्थव्यवस्था में 50 फीसदी  की गिरावट आई है.

आईआरसी का अनुमान है कि अगर यमन संकट पांच साल और खिंच गया तो मानवीय सहायता के मौजूदा स्तर को बनाए रखने के लिए ही 29 अरब डॉलर की जरूरत होगी. यह रकम वैश्विक स्तर पर मानवीय सहायता के सालाना बजट से भी ज्यादा है.

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संस्था के अध्यक्ष डेविड मिलिबेंड का कहना है कि अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों के सैन्य समर्थन और राजनयिक हस्तक्षेप ने इस युद्ध को और लंबा किया है. संस्था ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से कहा है कि वे संकट में शामिल सभी पक्षों पर तुरंत देशव्यापी युद्धविराम के लिए दबाव बनाएं, ताकि वे सार्थक शांति वार्ता की तरफ लौट सकें.

दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से बंदरगाह शहर होदैदा में युद्ध विराम कराया गया था. यह शहर हूथी बागियों के नियंत्रण वाले इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए बेहद अहम है. इस समझौते की वजह से होदैदा में बड़े मानवीय संकट को रोकने में मदद मिली है, लेकिन आईआरसी का कहना है कि यह समझौता सिर्फ छोटे से इलाके में ही लागू है. इस समझौते में कैदियों की अदला बदली भी शामिल है जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है.

आईआरसी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य यमन की सरकार और दक्षिणी अलगाववादियों के बीच हुए हालिया सत्ता साझेदारी समझौते से शांति वार्ता के लिए उम्मीद की किरण पैदा होती है. 

सऊदी अरब ने ओमान में हूथी बागियों के साथ सितंबर में अप्रत्यक्ष रूप से वार्ता शुरू की. यह वार्ता एक बड़े सऊदी तेल प्लांट पर हूथी बागियों के हमले के बाद हुई. इस हमले की वजह से तेल की वैश्विक आपूर्ति भी प्रभावित हुई थी. अमेरिका ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि ईरान ने इससे इनकार किया. इस बातचीत में अंतरिम समझौतों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया, जिनमें सना में यमन के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को खोलना भी शामिल था. इस एयरपोर्ट को सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2016 में बंद कर दिया था.

एके/एमजे (एपी)

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