मौसम ने कराया चंगेज खान का उदय
१२ मार्च २०१४13वीं सदी में मंगोल साम्राज्य का विस्तार करने वाले चंगेज खान को एक ऐसी शख्सियत के रूप में जाना जाता है जो कभी हारे नहीं, बस आगे ही बढ़ते रहे. ताजा रिसर्च की मानें तो उनके उदय के पीछे केवल उनकी शख्सियत ही नहीं थी, बल्कि वक्त और कुदरत का भी बड़ा हाथ रहा.
अमेरिका की नेशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज में छपे शोध में बताया गया है कि 1180 से 1190 के बीच मंगोलिया में भीषण सूखा पड़ा. यह समय चंगेज खान के शासन से पहले का है. फिर 1211 से 1225 उसके शासन के दौरान मौसम में सुधार होने लगा. मंगोलिया में बरसात होने लगी और तापमान में भी कमी आई. शोध करने वाली वर्जीनिया यूनिवर्सिटी की एमी हेसल बताती हैं, "भीषण गर्मी से भीषण नमी का जो परिवर्तन हुआ उससे साफ है कि लोगों की गतिविधियों में भी बदलाव आया. हम नहीं कहते कि बस यही एक वजह थी, पर इससे एक करिश्माई सम्राट के उदय के लिए उपयुक्त परिस्थितियां तो बनी ही. एक ऐसा नेता बना जिसने अव्यवस्था को खत्म किया, सेना का विकास किया और जो ताकत को केंद्रित कर पाया."
पेड़ों ने खोला राज
उस समय मौसम कैसा हुआ करता था यह पता करने के लिए उस जमाने के पेड़ों पर शोध किया. पेड़ों को जब काटा जाता है तो उनके अंदर कुछ चक्र दिखते हैं जो उनकी उम्र बताते हैं. इसी उम्र के हिसाब से ग्यारह सदी पुराने पेड़ खोजे गए और उन पर अध्ययन किया गया. इनमें से अधिकतर चीड़ के पेड़ हैं जो काफी उम्र लंबी तक जी पाते हैं. इन्हीं के जरिए पता चल सका कि चंगेज खान ने जब राज करना शुरू किया तो एशिया का ज्यादातर हिस्सा सूखा हुआ था. और उसके राज के दौरान ही वहां मौसम में भारी बदलाव हुआ जिसने विकास का मौका दिया.
हेसल का ध्यान इन पेड़ों पर तब गया जब वह जंगल की आग पर शोध कर रही थीं. पेड़ों के अवशेष उन्हें चट्टानों में मिले और कई ऐसे पत्थरों में भी जो लावे से बने. उन्होंने पाया कि कई पेड़ों की उम्र 1,100 साल की भी थी. लकड़ी का एक ऐसा टुकड़ा भी मिला जो 650 ईसा पूर्व का है.
चंगेज खान की मृत्यु 1227 में हुई. लेकिन उनके वंशकों ने एशिया और पूर्वी यूरोप के बड़े हिस्से पर राज किया. बाद में यही हिस्से भारत, चीन, रूस और कोरिया के नाम से जाने गए.
आईबी/ओएसजे (एएफपी)