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मौत के बाद भी छुट्टियां

१३ जून २०१४

यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने कर्मचारी और कंपनी के झगड़े में मिसाल रखने वाला फैसला सुनाया है. कोर्ट का कहना है कि मौत से कर्मचारी की सालाना छुट्टी का हक खत्म नहीं होता.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

यदि किसी कर्मचारी की सालाना छुट्टी लेने से पहले मौत हो जाती है तो अभियोक्ता को उसके आश्रितों को छुट्टी के दिनों के लिए मुआवजा चुकाना होगा. मामले को अदालत तक एक जर्मन महिला लेकर गई. उसका पति लंबी बीमारी के कारण नियमित रूप से अपनी छुट्टियां नहीं ले पाया था और उसकी 140 दिनों की छुट्टी जमा हो गई थी.

पहले उन्होंने जर्मनी की अदालत से अपने मृतक पति के बकाया अवकाश के बदले पैसा पाने की अपील की. जर्मन अदालत ने केस को खारिज कर दिया. जर्मनी में कानून है कि कर्मचारी की मृत्यु के साथ रोजगार करार खत्म हो जाता है. जर्मनी शहर हाम में स्थित अदालत ने मामले को निर्देश के लिए यूरोपीय अदालत को भेज दिया, क्योंकि वह इस मुद्दे पर जर्मनी के संघीय श्रम अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं थी. गुरुवार को यूरोपीय अदालत ने महिला के हक में फैसला किया.

अदालत ने कहा कि अवकाश का हक मृत्यु के बाद भी मान्य है. जर्मनी को यूरोपीय अदालत के फैसले को मानना होगा. लक्जमबर्ग की अदालत ने साफ किया कि यूरोपीय कानून राष्ट्रीय कानून से ऊपर है. अदालत ने कहा, "कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु का नकारात्मक असर उसके पूरे वार्षिक वैतनिक अवकाश पर नहीं पड़ना चाहिए." अदालत ने कहा कि पेड लीव का हक समाजिक कल्याण कानून का अहम सिद्धांत है.

यह फैसला यूरोपीय संघ के सदस्यों देशों के नागरिकों के लिए मिसाल से कम नहीं हैं. ऐसे सैकड़ों मामले हैं जहां कर्मचारी की मौत के बाद नियोक्ता और मृतक आश्रितों के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है.

ओएसजे/एमजे (एपी)