मौत के कुएं में साथ उतरने वाले बाप-बेटा
४ अक्टूबर २०१६गोले के अंदर मोटरसाइकिल चलाने में क्या रोमांच है? इंग्लैंड के डेव सीमूर और उनके बेटे ड्यूक से पूछिए. गुरुत्वाकर्षण की सीमाओं को तोड़ना उन्हें अभी भी रोमांच देता है. गोल दीवार पर ऐसी रफ्तार जैसे कि कोई गुरुत्वाकर्षण हो ही न. लेकिन रफ्तार जितनी तेज हो, अपकेंद्री ताकत भी उतनी ही होती है. डेव सीमूर और उनका बेटा ड्यूक इस शो के लिए अपनी ताकत की आखिरी हदों तक जाते हैं. 80 किलोमीटर तक की रफ्तार. गुरुत्वाकर्षण की पांच गुनी ताकत को शरीर बर्दाश्त कर लेता है. रफ्तार इससे ज्यादा बढ़ी तो घातक हो सकती है. डेव सीमूर बताते हैं, "हम इसे आसान दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह इतना आसान है नहीं. जब आप तेज ड्राइव करते हैं तो खून आपके पांवों में पहुंचता है, और तेज हों तो आंखों में सफेद धब्बे दिखने लगते हैं."
इस लड़की से जरूर मिलें, तस्वीरों में
सीमूर परिवार गर्मियों में यूरोप के टूर पर होता है. इस बार उन्होंने डेमन डोर्म दक्षिण इंग्लैंड के ओल्डटाइमर फेस्टिवल में लगाया. डेव अपने बेटे ड्यूक के साथ मौत के कुएं में उतरते हैं. डयूक बताते हैं कि मौत के कुएं में मोटर साइकल चलाते वक्त आपका विजन संकरा हो जाता है, चीजें बड़ी दिखने लगती है. लेकिन रफ्तार कम नहीं की जा सकती क्योंकि तब फिसलने का खतरा होता है.
मौत का कुंआ कहे जाने वाले शो की शुरुआत 19वीं सदी में ही हो गई थी. सबसे पहले साइकिलों के साथ. फिर 1920 के दशक में मोटर साइकिल आईं. सर्कसों में दिखाए जाने वाले ये शो खतरनाक होते गए. तब इनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1930 में करीब 100 ग्रुपों ने यूरोप के देशों का दौरा किया. डेव बताते हैं, "जितने डेथ वेल बढ़ते गए, प्रतिस्पर्धा बढ़ती गई, खतरनाक ट्रिकों का इस्तेमाल होने लगा. वे लोग शेर को साथ बिठाकर ड्राइव करते थे. मुझे पता नहीं कि शेरों को कैसे रोक कर रखा जाता था. मुझे लगता है कि उनके दांत नहीं होते थे."
1927 में बना डेमन डोम सन 2000 में बिकने वाला था. डेव सिर्फ इंडियन कंपनी वाली मोटर साइकिल खरीदना चाहते थे जिसे मौक के कुंए में चलाया जाता है. लेकिन कुंआ उन्हें मुफ्त में मिल गया. उन्हें और उनके बेटे को इस बीच वह रास आ गया है. अब वह मौत से मुकाबला करते हैं और लोगों को मजा देते हैं.
गेरहार्ड जोनलाइटनर/एमजे