मौत की गंध का एहसास
२९ दिसम्बर २०१४ब्रेडा यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों का कहना है कि वे पर्यटकों को इतिहास की अलग अंदाज में सैर करा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की हत्या के समय उनकी पत्नी जैकलीन केनेडी ने जो खुश्बू लगाई हुई थी, वह केनेडी के खून से मिलकर कैसी बन गई होगी? या फिर व्हिटनी ह्यूस्टन के अंतिम पलों में ड्रग्स ओवरडोज के बाद बाथटब में कैसी गंध रही होगी?
इस रिसर्च में लगे ब्रेडा यूनिवर्सिटी के कम्यूनिकेशन एंड मल्टीमीडिया डिजाइन के रिसर्चर फ्रेडरिक डॉयरिंक सवाल उठाते हैं, "हमने केनेडी की हत्या की तस्वीरें देखी हैं, लेकिन उस समय गंध कैसी रही होगी?" यह पता लगाने के इच्छुक व्यक्ति को बारी बारी चार बक्सों में लिटाया जाता है. ये बक्से कुछ कुछ मुर्दाघरों के बक्सों जैसे ही होते हैं. सबसे पहले बक्से के अंदर अंधेरा रहता है फिर संगीत बजना शुरू होता है. उसके बाद बक्से में कई तरह के सेंट धीरे धीरे पाइप के जरिए छोड़े जाते हैं. ये सबस मिलकर वैसी गंध पैदा करते हैं जैसी उस मशहूर शख्सियत की मौत के समय रही होगी. बक्से में पांच मिनट तक उस गंध का एहसास किया जा सकता है. यहां आने वाले दुनिया की चार बड़ी मृतक हस्तियों की मौत की गंध का अनुभव कर सकते हैं. ये हैं जॉन एफ केनेडी, राजकुमारी डायना, मुअम्मर गद्दाफी और व्हिटनी ह्यूस्टन.
व्हिटनी ह्यूस्टन की मौत की घड़ी का अनुभव करने वाले महसूस करते हैं कि जब कोकेन के ओवरडोज से ह्यूस्टन बाथटम में डूबी होंगी तो कैसा माहौल रहा होगा. पानी में डूबने और ह्यूस्टन की आवाज से पहले पर्यटकों को उस क्लीनर की महक सुंघाई जाती है जो दुनिया भर के बड़े होटलों में इस्तेमाल होती है. इसके बाद आती है जैतून के तेल की महक जो ह्यूस्टन ने अपने बाथटब में डाली हुई थी. फिर कोकेन जैसी गंध बक्से में भर जाती है. थोड़ी देर तक पानी में उठापटक जैसी आवाजें और फिर खामोशी.
डॉयरिंक कहते हैं, "गंध को संवाद का माध्यम बहुत कम ही बनाया जाता है और हम इसके इस्तेमाल का विस्तार करना चाहते थे. यह संवाद का बहुत ही सशक्त माध्यम है." वैज्ञानिकों के मुताबिक गंध का संबंध दिमाग के उन हिस्सों से होता है जो भावनाओं और यादों के लिए जिम्मेदार होते हैं. कई बार दुकानों में भी इसी ट्रिक का इस्तेमाल किया जाता है. ब्रेड की दुकान में ताजा बेक की हुई ब्रेड की सोंधी खुश्बू आ रही हो तो कौन ब्रेड नहीं खरीदना चाहेगा. गद्दाफी की मौत की गंध के अनुभव से गुजरने वाले रिक्स सोएपेनबेर्ग ने बताया कि यह बहुत ही अद्भुत और हैरान करने वाला एहसास था. मुझे लगा जैसे वह सब कुछ मेरे ही साथ हो रहा हो. इस इंस्टालेशन को बहुत जल्द यूरोप के अन्य देशों में ले जाया जाएगा.
एसएफ/आरआर (एएफपी)