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मोलाह की फांसी पर सुनवाई जारी

११ दिसम्बर २०१३

बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत ने कट्टरपंथी नेता अब्दुल कादर मोलाह की फांसी की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करने के मामले में सुनवाई एक दिन के लिए टाल दी है. मोलाह को मंगलवार रात फांसी दी जानी थी.

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तस्वीर: Reuters

इस्लामी कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी पार्टी के नेता मोलाह को बांग्लादेश की अदालत ने 1971 में हुए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों का दोषी पाया था और फांसी की सजा दी थी. मंगलवार शाम एक नाटकीय विकास में सुप्रीम कोर्ट के चैंबर जज ने बचाव पक्ष की अपील पर मोलाह की फांसी बुधवार सुबह साढ़े दस बजे तक रोक दी थी. एटॉर्नी जनरल महबूबे आलम ने बताया कि बुधवार को बचाव पक्ष के आवेदन पर पांच जजों की पीठ सुनवाई कर रही है. सुनवाई को गुरुवार तक स्थगित कर दिया गया है. मोलाह के फांसी पर लगी रोक मामले के निबटारे तक जारी रहेगी.

Bangladesch Abdul Quader Mollah Hinrichtung verschoben
अदालत में मोलाह की पत्नीतस्वीर: Reuters

मोलाह जमात ए इस्लामी पार्टी के उप महासचिव हैं. पार्टी पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है लेकिन वह पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चलने वाले विपक्षी आंदोलन में अहम भूमिका निभाती है. मोलाह उन पांच कट्टरपंथी नेताओं में शामिल हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्राइब्यूनल ने बांग्लादेश स्वतंत्रता संघर्ष में हत्या और बलात्कार के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई. ट्राइब्यूनल का गठन 1971 की लड़ाई में हुए अत्याचारों की जांच के लिए 2010 में बनाया गया था. संघर्ष के दौरान 30 लाख लोग मारे गए थे.

अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्राइब्यूनल आईसीटी के आलोचकों का कहना है कि जनवरी में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना इसका इस्तेमाल अपनी धुर प्रतिद्वंद्वी बेगम जिया के खिलाफ राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है. मोलाह के भविष्य को लेकर चल रही घटनाओं ने शेख हसीना और खालिदा जिया की 20 साल से ज्यादा से चल रही दुश्मनी और बढ़ा दी है. बहुत से बांग्लादेशी ट्राइब्यूनल का समर्थन कर रहे हैं. उनका मानना है कि युद्ध अपराध के दोषियों को सजा दी जानी चाहिए. 16 करोड़ की आबादी वाले देश में 42 साल पहले की घटनाएं अभी भी अहम भूमिका अदा कर रही हैं.

Bangladesch Abdul Quader Mollah Hinrichtung verschoben
तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images

देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी के समर्थकों के हिंसक विरोध की आशंका से राजधानी ढाका में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. 1971 में बांग्लादेश की आजादी का विरोध करने वाली जमात ए इस्लामी ने मोलाह को फांसी दिए जाने की स्थिति में गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है. उसने ट्राइब्यूनल को राजनीति से प्रेरित और धोखा बताते हुए कहा है कि अधिकांश अभियुक्त प्रधानमंत्री शेख हसीना के राजनीतिक विरोधी हैं. उधर केंद्रीय ढाका में जमा हजारों युवा ट्राइब्यूनल द्वारा दोषी ठहराए गए अभियुक्तों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लई ने शेख हसीना को फोन कर मोलाह और दूसरे अभियुक्तों की फांसी रोकने की मांग की है.

एमजे/ओएसजे (रॉयटर्स, डीपीए)

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