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मोबाइल फोन से बिजली

२७ अप्रैल २०१५

पूर्वी अफ्रीका के कई देशों में लोगों के पास आज भी बिजली नहीं है. एक जर्मन कंपनी वहां मोबाइल फोन से बिजली का कनेक्शन दिलवा रही है, वो भी बिना किसी नकदी के.

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तस्वीर: ROMEO GACAD/AFP/Getty Images

जर्मन कंपनी मोबीसोल सालों से पूर्वी अफ्रीका में सोलर पैनल बेच रही है. इनसे बनने वाली ऊर्जा सैकड़ों परिवारों को बिजली मुहैया कराती है. बड़े पैनलों की मदद से फ्रिज या फिर फैक्ट्रियों और अस्पतालों में मशीनों को भी चलाया जा सकता है.

चार साल पहले थोमास गॉटशाल्क ने मोबीसोल कंपनी की स्थापना की. विचार था हर उस जगह बिजली पहुंचाना जहां अब तक लोग इससे महरूम हैं. गॉटशाल्क बताते हैं कि आइडिया सहसंस्थापक की पत्नी से आया, "वो अफ्रीका गयी थीं और वहां लोगों की परेशानी देख चुकी थीं. लोगों के पास बिजली की तो कमी है लेकिन मोबाइल नेटवर्क है. साथ ही पिछले कुछ सालों में सोलर मॉड्यूल काफी सस्ते हो गए हैं. हमने इस सब का हिसाब लगाया और वहीं से मोबीसोल की शुरुआत हुई."

अफ्रीका से बर्लिन

सबसे छोटे सोलर पैनल 30 वॉट बिजली पैदा करते हैं और इनकी कीमत है 250 यूरो. इससे मोबाइल फोन चार्ज हो सकता है, रेडियो चल सकता है और एक लाइट भी. ग्राहक के पास पैसे चुकाने के लिए तीन साल का वक्त होता है. किश्त मोबाइल फोन के जरिए चुकाई जा सकती है. गॉटशाल्क बताते हैं, "हमारे अधिकतर ग्राहकों के पास बैंक खाते नहीं हैं, लेकिन सभी के पास मोबाइल फोन हैं. इसके अलावा मोबाइल मनी ऐप भी हैं जो एक से दूसरी जगह पैसा ट्रांसफर करते हैं. आपको पैसा जमा करने के लिए लोगों की जरूरत नहीं है, ना ही नकद दिया जाता है. पैसा इकट्ठा करने का यह एक बेहतरीन विकल्प है."
एक छोटी सी वर्कशॉप में इंजीनियर तकनीक पर काम करते हैं. रेडियो सर्किट बर्लिन के मुख्यालय को डाटा मुहैया कराता है. इसी से पता चलता है कि कितनी बिजली की जरुरत है और कहीं किसी पैनल में कोई खराबी तो नहीं. एक कम्यूनिकेशन इंटरफेस के जरिए सारे डाटा को डाटा बैंक में डाला जाता है ताकि तकनीक का विस्तार किया जा सके और कस्टमर केयर को भी सुधारा जा सके.

बर्लिन से चीन

पूर्वी अफ्रीका और बर्लिन में कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बर्लिन के मुख्यालय में इस तकनीक के विकास, प्रोडक्शन और बिक्री पर चर्चा होती है. दिलचस्प बात यह है कि कर्मचारी तीन भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं, जर्मन, अंग्रेजी और चीनी, क्योंकि पैनल चीन से ही बन कर आते हैं. थोमास गॉटशाल्क बताते हैं, "मोबीसोल तीन महाद्वीपों में सक्रिय है. हम जर्मनी और चीन में उत्पादन करते हैं और अफ्रीका में बेचते हैं. इन सभी देशों, महाद्वीपों के बीच लॉजिस्टिक्स एक बड़ी चुनौती है. कई बार ट्रक खराब हो जाते हैं. और जिन जगहों में ग्राहक हैं, वहां पैनल पहुंचाना, यह बहुत ही चुनौती भरा काम है."

एक ऐसी चुनौती, जिसे अब तक कंपनी बखूबी पूरा करती रही है. यही वजह है कि बर्लिन का ब्यूरो अब छोटा पड़ गया है. जल्द ही नया बड़ा दफ्तर लेने की तैयारी है.

बेटीना टी शाडे/आईबी