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मैं किसी के हाथ की कठपुतली नहीं हूं: आइज़क

७ अगस्त २०१०

आईसीसी के उपाध्यक्ष पद के लिए न्यूजीलैंड क्रिकेट और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के उम्मीदवार एलन आइज़क को ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वह किसी के हाथ की कठपुतली हैं या तीसरे दर्जे की पसंद हैं.

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ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन हावर्ड को इस पद के लिए उम्मीदवारी नहीं मिली. इसके बाद दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन जॉन एंडरसन को उम्मीदवार बनाना चाहते थे, लेकिन एंडरसन ने इनकार कर दिया. आखिरकर आइज़क को उम्मीदवार बनाने पर सहमति बनी.

58 साल के आइज़क के पास खेल प्रशासन और कॉर्पोरेट गवर्नेंस का लंबा अनुभव है. माना जा रहा है कि क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय संस्था के लिए आइज़क काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं. और दो लोगों के उम्मीदवार न बन पाने के बाद चुने गए आइज़क मानते हैं कि वह तीसरे दर्जे की पसंद नहीं हैं. आइज़क कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि मैं दूसरे या तीसरे दर्ज की पसंद हूं और जो लोग मुझे जानते हैं वे आपको बता सकते हैं कि मैं किसी के हाथ कठपुतली नहीं हूं. मैं खुद काम करता हूं."

'द ऑस्ट्रेलियन' अखबार से बात करते हुए आइज़क ने कहा, "मैं चाहूंगा कि दो, तीन या चार साल के बाद लोग मेरी उपलब्धियों और विफलताओं के आधार पर मेरे बारे में फैसला करें." आइज़क आईसीसी की छवि को सुधारने के लिए काम करना चाहते हैं. हालांकि उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी कि आईसीसी ने जॉन हावर्ड की उम्मीदवारी को बिना कोई वजह बताए खारिज कर दिया.

अखबार के मुताबिक आईसीसी इस बात से इनकार करती है कि उस पर अफ्रीकी-एशियाई देश हावी हैं. लेकिन जिस तरह हावर्ड की उम्मीदवारी खारिज हुई, उसे देखते हुए आइज़क को भी ऐसा लगता है कि भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, साउथ अफ्रीका, जिम्बाब्वे और बांग्लादेश आईसीसी में हावी रहते हैं.

आइज़क कहते हैं, "मैं समझ सकता हूं कि लोग ऐसा क्यों कहते हैं. इस बात से थोड़ी निराशा होती है कि ये देश नहीं बता सके कि वे हावर्ड के समर्थन में क्यों नहीं आए. लेकिन हम लोकतंत्र में रहते हैं और हमें लोगों की राय का सम्मान करना है. इसलिए आगे बढ़ना चाहिए."

आइज़क को पूरी उम्मीद है कि प्रशासक के तौर पर उनका अनुभव आईसीसी के लिए फायदेमंद साबित होगा. उपाध्यक्ष पद पर बैठने वाला व्यक्ति ही आमतौर पर अगला अध्यक्ष होता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य