मीडिया को कुचलना चाहती है सरकार
२५ फ़रवरी २०१४कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भारत सरकार के गृह मंत्री शिंदे का दावा है कि कुछ पत्रकार कांग्रेस को खास तौर पर निशाना बना रहे हैं, "इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जो कुछ भी हो रहा है, मैं वह जान रहा हूं. पिछले चार महीने से मीडिया हमें भड़काने की कोशिश कर रहा है. अगर वे दुष्प्रचार करने से नहीं रुके, तो हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसे तत्वों को कुचल देंगे."
गृह मंत्री ने खुलासा किया कि भारत की खुफिया एजेंसियां मीडिया पर खास तौर पर नजर रखे हुई हैं, "खुफिया विभाग मेरे अधीन आता है. मुझे पता है कि कौन इस तरह के काम कर रहा है. मुझे पता है कि क्या हो रहा है. कुछ ताकतें इसके पीछे हैं."
मामले पर विवाद होने के बाद मंत्री ने बयान को बदलने की कोशिश की, "मेरे भाषण की रिकॉर्डिंग है. मैं तो सोशल मीडिया और हैदराबाद तथा कर्नाटक में हुई हिंसा से जुड़ी बात कर रहा था."
भारत में फ्री नहीं मीडिया
पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बोडर्स हर साल प्रेस की आजादी की सूची जारी करती है, जिसमें भारत का स्थान पिछले साल गिर कर 140वें नंबर पर चला गया है. पिछले कई सालों से यह इन्हीं नंबरों के आस पास रहा है, जबकि यूरोपीय देश शीर्ष जगहों पर जमे हैं.
भारत में आम तौर पर मीडिया को स्वतंत्र माना जाता है लेकिन कानूनों और नियमों में उलझे तंत्र में यह स्पष्ट रूप से सामने नहीं आता. करीब दो साल पहले उस वक्त के आईटी मंत्री कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर सेंसर लगाने की बात कही थी. हालांकि बाद में उन्हें भी सफाई देनी पड़ी थी. इसके अलावा भारत में समाचारों पर भी गाहे बगाहे रोक लगती रही है. भारतीय निजी एफएम रेडियो स्टेशनों को अभी तक समाचार प्रसारण की इजाजत नहीं है.
जहां तक भारतीय मीडिया में सुरक्षा का सवाल है, पत्रकारों के लिए यह सीरिया के बाद दुनिया की सबसे खतरनाक जगह है. मीडिया सेफ्टी ग्रुप की रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल भारत में छह पत्रकारों की जान गई. इससे पहले 2010 में भारत सबसे खतरनाक पांच देशों में शामिल था. पाकिस्तान का नंबर भी भारत के बाद आता है.
चुनाव के वक्त बयान
शिंदे का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब भारत में आम चुनाव होने हैं और आम तौर पर टेलीविजन चैनलों के चुनाव पूर्व सर्वे में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह हारती हुई बताया जा रहा है. यूपीए लगभग 10 साल से भारत में शासन कर रही है और इस बार बीजेपी के नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए से उसका मुकाबला है. सर्वे में गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी को बड़ी कामयाबी हासिल करता बताया जा रहा है.
शिंदे के बयान के बाद भारतीय मीडिया ने उन्हें आड़े हाथों लिया है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भारतीय गृह मंत्री के बयान पर आपत्ति जताते हुए इसे "बेबुनियाद आरोप" बताया. ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के महासचिव एनके सिंह का कहना है, "शिंदे के इस तरह के आरोप से हम चिंतित हैं. इसका कोई बुनियाद नहीं है और यह निराशा से उपजा बयान है."
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ (एएफपी)
संपादनः महेश झा