मिस्र में विवादित संविधान पास
२३ दिसम्बर २०१२मसौदे पर शनिवार को दूसरे और आखिरी दौर के मतदान हुआ. मुस्लिम ब्रदरहुड का कहना है कि अनौपचारिक आंकड़ों के अनुसार करीब 64 प्रतिशत मतदाताओं ने संविधान के पक्ष में वोट दिया.
विपक्ष ने भी यह माना है कि मतदान के नतीजे मुस्लिम ब्रदरहुड के हक में आए हैं. औपचारिक रूप से नतीजों का एलान सोमवार को किया जाएगा. मुस्लिम ब्रदरहुड का दावा है कि नया संविधान देश को लोकतंत्र के रास्ते पर आगे बढ़ने में मददगार साबित होगा और आर्थिक हालात को भी सुधार सकेगा. पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता से हटाने के डेढ़ साल बाद अब संविधान तैयार हो पाया है. इसी साल जून में हुए चुनाव के बाद मोहम्मद मुर्सी ने राष्ट्रपति पद संभाला. मुर्सी मुस्लिम ब्रदरहुड की छत्रछाया वाली फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी के नेता है.
मतदान के नतीजों के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड ने कहा, "यह सभी राष्ट्रीय शक्तियों को एकजुट करने की दिशा में एक ऐतिहासिक मौका है और एक स्थायी देश की रचना करने के लिए इसकी नींव आपसी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से हुए संवाद पर टिकी है."
संविधान की आलोचना
विपक्ष ने भले ही अपनी हार मान ली है पर साथ ही मुर्सी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मतगणना में गड़बड़ी कराई. ब्रदरहुड के बयान के अनुसार दूसरे चरण में उन्हें 71 फीसदी वोट मिले हैं और दोनों चरणों को मिला कर 63.8 प्रतिशत. इस पर मुख्य विपक्षी पार्टी नेशनल सैल्वेशन फ्रंट के एक उच्च अधिकारी ने कहा, "वे देश पर राज कर रहे हैं, चुनाव भी उन्हीं के हिसाब से चल रहा है और उनका लोगों पर भी असर पड़ रहा है, तो अब हम और क्या उम्मीद कर सकते हैं."
साथ ही विपक्ष की यह भी शिकायत है कि संविधान केवल मुसलामानों के हक में बनाया गया है और इसमें ईसाइयों या अन्य धर्म के लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. मिस्र की दस फीसदी आबादी ईसाई है. दुनिया भर में संविधान की इस बात को लेकर भी आलोचना हो रही है कि यह महिलाओं के अधिकारों को पूरी तरह नजरअंदाज करता है. संविधान इस्लामी कानून और शरिया के सिद्धांतों पर बना है. नेशनल सैल्वेशन फ्रंट के अहमद सईद ने कहा, "इससे और अशांति फैलेगी. लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे."
आगे क्या
संविधान के औपचारिक रूप से पारित हो जाने के बाद दो महीने के भीतर संसदीय चुनाव कराए जाएंगे. मुर्सी संविधान को निष्पक्ष साबित करने के लिए पहले ही शनिवार को 90 सांसद चुन चुके हैं. इनमें से आठ महिलाएं हैं और बारह ईसाई.
मतदान के दौरान मिस्र से लगातार हिंसा की खबरें आती रहीं हैं. देश में करीब ढाई लाख पुलिसकर्मी और सैनिक तैनात किए गए हैं. राष्ट्रपति भवन के आस पास पिछले एक महीने से सेना के टैंक चौकसी कर रहे हैं.
मिस्र में बीते साल अरब वंसत के दौरान जोरदार प्रदर्शन शुरू हुए. तब इन्हें क्रांति का नाम दिया गया. प्रदर्शनों की वजह से होस्नी मुबारक को सत्ता छोड़नी पड़ी. मुबारक 30 साल से मिस्र पर राज कर रहे थे. मुबारक के जाने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें एक नया मिस्र मिलेगा. लेकिन इस साल 22 नवंबर को कई उम्मीदें टूट गईं. मामूली अंतर से मिस्र के राष्ट्रपति बनने वाले मुर्सी ने बीते महीने खुद को कई विशेषाधिकार दे दिए. उन विशेषाधिकारों को अदालत में भी चुनौती नहीं दी जा सकती. विशेषाधिकार के बाद मुर्सी नया प्रस्तावित संविधान ले आए.
आईबी/ओएसजे (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)