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मिस्र के प्रदर्शनों ने बदले अमेरिका के सुर

२७ जनवरी २०११

मिस्र के लोगों के विशाल प्रदर्शनों ने अमेरिकी आवाज का सुर भी बदल दिया है. अब तक हुस्नी मुबारक सरकार का समर्थन कर रहे अमेरिका ने कहा है कि मिस्र में राजनीतिक सुधार होने चाहिए. मिस्र में मरने वालों की तादाद पांच हुई.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिका ने बुधवार को कहा कि मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को राजनीतिक सुधार करने होंगे. मिस्र में हुस्नी मुबारक की सत्ता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी मुबारक से पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं. मुबारक 30 साल से राज कर रहे हैं.

दो और मौतें

Proteste in Kairo NO FLASH
तस्वीर: picture-alliance/dpa

काहिरा में पुलिस को हजारों लोगों का सामना करना पड़ा. प्रदर्शनकारियों को तितरबितर करने के लिए रबड़ की गोलियां और आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. इस बीच बुधवार को भी दो लोगों की मौत की खबर आने के बाद प्रदर्शनों में मरने वालों की कुल संख्या पांच हो गई है. हालांकि मिस्र के सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि बुधवार को मरने वाले दो लोगों की मौत कार दुर्घटना में हुई है और प्रदर्शन से इसका लेना देना नहीं है.

मिस्र में ये प्रदर्शन ट्यूनीशिया में सत्ता बदल जाने के बाद शुरू हुए. दो हफ्ते पहले ट्यूनीशिया में लोग इसी तरह सड़कों पर उतरे और फिर कई दशकों से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति बेन अली को देश छोड़कर भागना पड़ा.

अमेरिका चिंतित

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

इन प्रदर्शनों ने पूरे अरब जगत को चिंता में डाल दिया है. अमेरिका अब तक कह रहा था कि मिस्र की सरकार स्थिर है. लेकिन मंगलवार और बुधवार को दिनभर हुए प्रदर्शनों के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के सुर अलग नजर आए. उन्होंने कहा कि मिस्र की सरकार को अब कदम उठाने ही होंगे नहीं तो उसे भी ट्यूनीशिया जैसे नतीजे भुगतने होंगे. क्लिंटन ने सलाह दी कि लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में दमन का इस्तेमाल न किया जाए और इंटरनेट की सोशल नेटवर्किंग साइटों को भी बंद न किया जाए. मिस्र में सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर को बंद कर दिया गया है. प्रदर्शनों के आयोजन में लोग फेसबुक और ट्विटर जैसी साइटों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

क्लिंटन ने कहा, "हमारा यह मानना है कि मिस्र की सरकार के पास इस वक्त एक अहम मौका है जब लोगों की जायज मांगों को मानते हुए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सुधार किए जाएं." हालांकि अमेरिका पहले भी इस तरह के सुधारों की बात कहता रहा है लेकिन अब क्लिंटन की आवाज में जो तकाजा सुनाई दे रहा है, वैसा पहले कभी नहीं था.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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