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मिलिए डायनासोरों के 'अंडरटेकर' से

८ मई २०१४

एक जमाने में धरती पर जिन भारी भरकम डायनासोरों का राज हुआ करता था, उनमें से भी सबसे भारी डायनासोर को चुन लिया गया है. वैज्ञानिकों ने 'हेवीवेट चैंपियन' का खिताब जिसे दिया है उसका नाम है अर्जेंटीनोसॉरस.

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तस्वीर: Reuters

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जीवाश्मविज्ञानी रॉजर बेनसन ने डायनासोरों पर हुई एक स्टडी का नेतृत्व किया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, "अर्जेंटीनोसॉरस, जी हां, यही है चैंपियन."

90 टन का डायनासोर

वैज्ञानिकों ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए डायनासोरों की करीब 426 अलग अलग किस्मों के भार का अनुमान लगाया. पीएलओएस बायोलॉजी नाम के साइंस जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में उन सभी डायनासोरों को शामिल किया गया है जिनकी महत्वपूर्ण हड्डियां कंकाल के रूप में सही सलामत थीं. यह अनुमान उनके पैरों की हड्डी की मोटाई और दूसरे कुछ लक्षणों पर आधारित है. इस तालिका में काफी लंबी गर्दन वाले अर्जेंटीनोसॉरस को सबसे ऊपर जगह मिली.

स्टडी के अनुसार इस शाकाहारी डायनासोर का वजन करीब 90 टन रहा होगा. करीब नौ करोड़ साल पहले अर्जेटीना के इलाके में पाया जाने वाला यह विशालकाय जीव, धरती पर रहने वाला आज तक का सबसे बड़ा जीव माना गया है.

15 ग्राम का भी

इस प्रक्रिया में वैज्ञानिकों को सबसे हल्के, लगभग एक गौरैया के आकार के उड़ने वाले 'क्विलिआनिया' नाम के डायनासोर के बारे में भी पता चला. चीन के इलाके में पाए जाने वाले इस जीव का वजन 15 ग्राम से भी कम रहा होगा. डायनासोर परिवार के इन सबसे बड़े और सबसे छोटे जीवों के बीच यह भारी अंतर वैज्ञानिकों को भी हैरान कर रहा है.

सबसे बड़ा मांसाहारी डायनासोर होने की उपाधि आज भी टाइरेनोसॉरस रेक्स या 'टी रेक्स' के नाम है. करीब 7 टन भारी टी रेक्स धरती पर रहने वाला अब तक का सबसे बड़ा परभक्षी जीव है. करीब 23 करोड़ साल पहले ट्रायसिक काल में सबसे पहले डायनासोरों के होने के सबूत मिले हैं. जुरासिक काल तक आते आते इन जीवों ने धरती पर चलने और आसमान में उड़ने वाले कई तरह के विशाल रूप लिए. क्रिटेशियस काल यानि अबसे करीब साढ़ें छह करोड़ साल पहले, कुछ चिड़ियों जैसे जीवों को छोड़कर बाकी सब किस्में विलुप्त हो गईं.

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जुरासिक काल में डायनासोरों की कई किस्में विकसित हुईंतस्वीर: picture-alliance/AP Photo

एस्टिरॉयड का असर

माना जाता है कि मेक्सिको के पास एक एस्टेरॉयड यानि क्षुद्रग्रह के टकराने से एक साथ इतने बड़े स्तर पर इनका सफाया हो गया. स्टडी में यह भी बताया गया है कि उड़ने वाले डायनासोरों के बचे रह जाने के क्या कारण रहे होंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये धरती, पानी, तटीय इलाकों जैसे कई अलग अलग तरह की जगहों पर रहते थे और खुद को ढालते ढालते कई छोटे बड़े आकार भी ले चुके थे. बेनसन का मानना है कि ये छोटे आकार वाले डायनासोर इन्हीं अनुकूलनों के कारण एस्टेरॉयड से बच सके. खुदाई में मिले छोटे मोटे अवशेषों के आधार पर अब तक डायनासोरों की लगभग 1,000 किस्मों का पता लगाया जा चुका है.

आरआर/आईबी (रॉयटर्स)