सब कुछ कहता है चेहरा
२९ जुलाई २०१४चेहरे के हाव भाव और उसके असर को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने एक हजार लोगों की तस्वीरें जमा की. इनके आधार पर पता लगाया गया कि पहली बार किसी को देख कर हम उसे तीन पैमानों पर आंकते हैं: वह व्यक्ति कितना मिलनसार है, वह आप पर कितना हावी होगा और वह कितना आकर्षक है. इसी पर निर्भर करता है कि आप उस पर भरोसा करेंगे या नहीं.
ब्रिटेन में हुए इस शोध के लिए मनोवैज्ञानिकों ने चेहरे की 65 अभिव्यक्तियों पर ध्यान दिया. इसमें भौहों के बीच के फासले से ले कर होंठों के आकार तक हर चीज का विश्लेषण किया गया. रिसर्च टीम के टॉम हार्टले बताते हैं कि 58 मामलों में लोग चेहरे की बनावट से ही सामने वाले के बारे में एक धारणा बना लेते हैं.
यह शोध अमेरिका की पीएनएएस विज्ञान पत्रिका में छपा है. शोध में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर प्रोफाइल पिक्चर के चलन ने इस सवाल का जवाब ढूंढने पर मजबूर कर दिया कि लोग किसी की तस्वीर देख कर कैसे उसके बारे में कोई राय बना लेते हैं. रिसर्च में हिस्सा लेने वाले लोगों को सौ मिलीसेकंड तक एक एक तस्वीर दिखाई गयी. इसके बाद उनसे पूछा गया कि वे उस व्यक्ति के बारे में क्या सोचते हैं. अधिकतर लोगों ने एक ही जैसे जवाब दिए.
बड़ी बड़ी आंखें, खिलखिलाती हंसी
इससे वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि खुल कर हंसने वालों को ज्यादा मिलनसार माना जाता है. मुस्कुराते हुए जिन लोगों के होंठ ज्यादा खुले नहीं थे, उन्हें कम मिलनसार माना गया. इसी तरह बड़ी आंखों और पतली भौहों को आकर्षक माना गया. साथ ही जिन लोगों का निचला होंठ ज्यादा भरा हुआ था, उन्हें भी औरों की तुलना में ज्यादा आकर्षक बताया गया. इस शोध के लिए केवल यूरोपीय लोगों की ही तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया. हैरानी की बात है कि जिनकी त्वचा का रंग थोड़ा गहरा था उन्हें दबंग बताया गया. आदमियों जैसे हाव भाव वाली महिलाओं को भी अधिक हावी होने वाला माना गया.
इन तस्वीरों में किसी भी तरह के बदलाव नहीं किए गए थे. सब सामान्य परिस्थितियों में खींची गयी आम जिंदगी की तस्वीरें थीं. कैमरे और जगह के अनुसार हर तस्वीर में अलग रोशनी भी थी. नतीजों के आधार पर 179 बिन्दुओं को तय किया गया और डाटा को कंप्यूटर में डाला गया. अंत में कुछ कंप्यूटर ग्राफिक तैयार किए गए. शोध में हिस्सा लेने वालों को जब ये ग्राफिक दिखाए गए तो वाकई हर किसी ने उसी को आकर्षक बताया जिसे वैज्ञानिकों ने आकर्षण के ग्राफिक के तौर पर तैयार किया था.
इस शोध को लोगों के हाव भाव समझने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. वीडियो गेम और एनीमेशन बनाने वाली कंपनियों को इससे फायदा मिलने की उम्मीद है. अब वे गेम के किरदारों को इंसानों के और करीब ला सकते हैं.
आईबी/एमजे (डीपीए)