माउंट ओंटाके का उद्गार
जापान में फूटे एक ज्वालामु्खी की वजह से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई. इसके बहते लावा ने करीब तीन किलोमीटर तक राख बिखरा दी. खतरनाक गैसों की वजह से राहत के काम में भी बुरी तरह बाधा आ रही है.
राख और धुआं
जापान का दूसरा सबसे सक्रिय ज्वालामुखी राजधानी टोक्यो से करीब 125 किलोमीटर की दूरी पर है. शनिवार को यह बिना किसी चेतावनी के फट पड़ा. इसकी वजह से आसमान में कई किलोमीटर तक धुएं का गुबार छा गया. ज्वालामुखी के आस पास आठ इंच मोटी राख की परत छा गई.
दर्जनों मौत की आशंका
यह विस्फोट 1991 के बाद से जापान का सबसे खतरनाक ज्वालामुखी विस्फोट था. कम से कम 12 लोगों की पक्के तौर पर मौत हो गई और 63 से ज्यादा लोग घायल हो गए. माउंट ओंटाके ट्रेकिंग करने वालों के लिए पसंदीदा जगह है. जब ज्वालमुखी फटा, तो यह जगह पर्वतारोहियों से भरी थी, जिनमें बच्चे भी थे.
मीलों उठता धुआं
माउंट ओंटाके की चोटी अब ऐसी जगह दिख रही है, जहां स्लेटी रंग का धुआं और राख छाई हुई है. 500 से ज्यादा राहतरकर्मियों में कई सैनिक भी हैं. उन्हें घुटने भर राख में उतर कर राहत के लिए आगे बढ़ना पड़ रहा है.
जहरीली गैसें
सोमवार से हेलिकॉप्टरों की मदद से लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है. इससे पहले राहत का काम जहरीली गैसों के खतरे को देखते हुए रोक देना पड़ा था. चोटी के आस पास सल्फर की महक फैली है.
दुख भरी घड़ी
इंतजार के इन पलों में कई परिवारों ने आपा खो दिया. एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि उनके बेटे ने फोन करके उन्हें कहा, "यह फट रहा है. सब खत्म हो रहा है.. मैं मर रहा हूं." और उसके बाद लाइन कट गई.
श्रद्धांजलि
राजधानी टोक्यो में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस ज्वालामुखी के शिकार हुए लोगों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की. उन्होंने राहत के लिए हर संभव मदद का भी भरोसा दिया.
ज्वालामुखियों का घर
दुनिया में सबसे ज्यादा ज्वालामुखी वाले इलाकों में जापान भी शामिल है. वहां माउंट साकुराजीमा (चित्र में) भी है. यह 1991 में फटा था, जिसकी वजह से 43 लोगों की जान गई थी. माउंट ओंटाके में सात साल पहले मामूली विस्फोट हुआ था.
चेतावनी
जापान के मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि ज्वालामुखी वाले इलाकों में दोबारा विस्फोट हो सकता है. एक से पांच तक के पैमाने पर माउंट ओंटाके का चेतावनी स्तर तीन कर दिया गया है. लोगों को यहां से दूर रहने की सलाह दी गई है.