माउंट आंगुग का ज्वालामुखी...तस्वीरों में
इंडोनेशिया के बाली द्वीप में एक ज्वालामुखी फटा है. इस ज्वालामुखी से निकल रहा राख का गुबार और धुआं 6,000 मीटर की ऊंचाई तक फैल गया है. वहां रहना और उड़ान भरना बेहद जोखिम भरा हो चुका है.
राख के बादल
पर्यटकों के बीच लोकप्रिय द्वीप बाली के पूर्वोत्तर में माउंट आगुंग नाम का यह ज्वालामुखी काफी सक्रिय माना जाता है. पिछले दो दिनों में कई बार इसमें विस्फोटों की आवाज आती रही. हवा और बादल में राख की परत भी नजर आयी. राख की ये परत बाली की राजधानी डेनपासर से दूर जाने पर और पड़ोसी द्वीप लोमबोक से देखी जा सकती है.
दिखता रहा लावा
जैसे-जैसे रात ढलती रही, लावे के चलते बादलों में बनती नारंगी छवि और भी गहरी होती गयी और आकाश में यह लगभग 6000 मीटर तक की ऊंचाई पर पहुंच गयी. माउंट आंगुग के इस ज्वालामुखी में बीते सितंबर से ही गतिविधियां नजर आने लगी थी. इसके चलते आसपास के तकरीबन 1.40 लाख लोगों को हटाया गया था लेकिन 29 अक्टूबर तक ज्वालामुखी में कमजोरी नजर आने लगी जिसके चलते काफी लोग वापस आ गये थे.
राख में घिरा बाली
बाली पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. दुनिया भर से हर साल तकरीबन 50 लाख पर्यटक बाली घूमने आते हैं. लेकिन रिसॉर्ट कारोबारियों की मानें तो सितंबर में जारी की गयी ज्वालामुखी के चेतावनी के बाद से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में खासी गिरावट देखी गयी है.
लेकिन सुरक्षित
इंडोनेशिया की आपदा नियंत्रण एजेंसी ने बाली को पर्यटकों के लिए "अब भी सुरक्षित" कहा है. माउंट आगुंग के ज्वालामुखी फटने के बाद से आपातकालीन स्थिति को बढ़ाकर 3 कर दिया गया था लेकिन अब भी यह अपने उच्चतम स्तर से एक स्तर कम है. तमाम विस्फोटों के बावजूद एजेंसी इन हालातों को स्थिर बता रही है.
विमानों को चेतावनी
विमानों पर जारी की गयी चेतावनी स्तर को ऑरेंज से बढ़ा कर रेड कर दिया गया है. जो चेतावनी का उच्चतम स्तर है. "रेड वॉर्निंग" जारी किए जाने का मतलब होता है कि ज्वालामुखी में राख के साथ विस्फोट होने की आशंका है. प्रशासन के मुताबित बाली हवाई अड्डे के वायुक्षेत्र में राख पहुंचने के बाद सोमवार को हवाई अड्डा बंद कर दिया गया. उड़ानों के रद्द होने से व्यस्त एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ जमा हो गयी.
एक्सक्लूशन जोन
ज्वालामुखी फटने के बाद से अब तक 25 हजार लोग इस क्षेत्र से बाहर जा चुके हैं. प्रशासन ने ज्वालामुखी के आसपास के तकरीबन 7.5 किलोमीटर क्षेत्र को एक्सक्लूशन जोन घोषित किया है और लोगों को इस क्षेत्र से बाहर रहने को कहा है. इंडोनेशिया में तकरीबन 120 सक्रिय ज्वालामुखी है जिसमें से माउंट आंगुग भी प्रमुख है. पिछली बार साल 1963 में यह ज्वालामुखी फटा था जिसमें हजारों की जान चली गयी.
मैग्मा और राख
विशेषज्ञों ने इस पूरी प्रक्रिया को "फेरेटिक इरप्शन" कहा है. जिसमें भूजल में ताप बढ़ता है और इसका विस्तार होता है जिसके चलते धुआं बनता है. अधिकारियों के मुताबिक यह ज्वालामुखी मैगमेटिक इरप्शन की ओर बढ़ रहा है और जिसमें राख उगलने और विस्फोट की संभावना बनी रहती है.
सुरक्षा कदम
माउंट आंगुग के इस ज्वालामुखी को देखते हुए प्रशासन सुरक्षात्मक कदम उठाने से चूकना नहीं चाहती. इसी के मद्देनजर सेना और पुलिस बल आसपास के गांव और इलाकों में रहने वाले लोगों को मास्क दे रही है ताकि राख और अन्य कणों से बचा जा सके.