माइक्रो बायोलॉजी के लिए भारत अहम
१२ जनवरी २०१५प्रोफेसर सनसोनेटी का कहना है कि मौसम के हालात और बढ़ती जनसंख्या देश में मौजूद संक्रामक रोगों के सबसे बड़े कारण हैं. उन्होंने कहा, "माइक्रो बायोलॉजी की पढ़ाई के लिए भारत दो लिहाज से अहम है. पहली बात यह कि विकासशील देशों में जितने भी संक्रमण और बीमारियां हैं, भारत में उन सबका खतरा है. दूसरे, भारत को उन नई प्रकार की बीमारियों से भी जूझना पड़ता है, जो तकनीकी रूप से विकसित देशों में देखी जाती हैं."
बच्चों में सांस की तकलीफ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में ऐसी बीमारियां देखने को मिलती हैं जो अक्सर दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाई जाती हैं, "अस्पतालों में भी कई तरह के कीटाणु होते हैं, यह एक अलग तरह का संक्रमण है."
भारत में एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, "मैं अक्सर कहता हूं कि पश्चिमी देशों ने कई परेशानियों को जन्म दिया है. अगर हम एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को नियंत्रित नहीं करेंगे तो हम इसके मकसद को ही खो देंगे. एंटीबायोटिक को इतना ज्यादा इस्तेमाल कर के आप एंटीबायोटिक की ही जान ले लेंगे."
भारत और फ्रांस के सहयोग के बारे में प्रोफेसर सनसोनेटी ने कहा, "2010 में फ्रांस और भारत की विज्ञान अकादमियों ने नई बीमारियों से लड़ने पर चर्चा की थी. हमें एक दूसरे से सीखना होगा. माइक्रो बायोलॉजी के लिहाज से यह बहुत जरूरी है."
प्रोफेसर सनसोनेटी विज्ञान जगत की जानीमानी पत्रिकाओं में 500 से अधिक लेख लिख चुके हैं. वे फ्रेंच अकैडमी ऑफ साइंस, यूएस नेशनल अकैडमी ऑफ साइंस और रॉयल सोसाइटी के सदस्य भी हैं.
आईबी/एमजे (पीटीआई)