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महिला सुरक्षा पर सोशल मीडिया में बहस

महेश झा८ दिसम्बर २०१४

भारत की राजधानी में एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी के टैक्सी ड्राइवर द्वारा एक महिला के रेप के बाद सोशल मीडिया पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहस फिर तेज हो गई है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Saurabh Das

तेज आर्थिक विकास के साथ भारतीय युवाओं की उम्मीदें भी बढ़ी हैं. मगर हर नई उम्मीद के साथ खतरों की नई लहर सामने आई है और इन सबके पीछे सरकार की निष्क्रियता भी दिखती है. आर्थिक प्रगति के साथ बड़े होते शहरों में सुरक्षित ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधा मुहैया कराना स्थानीय सरकारों का मौलिक काम है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि किसी भी शहर का प्रशासन इसके बारे में कुछ सोच रहा है. दिल्ली में हुई बलात्कार की नई घटना के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह तो कहा है कि नजरिये में बदलाव जरूरी है, हालांकि सुरक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के संकेत नहीं है. वीकएंड की घटना के बाद लड़कियां सुरक्षा इंतजामों के लिए प्रदर्शन कर रही हैं.

इस बीच सुरक्षा को लेकर कितनी हताशा है इसका पता रमा लक्ष्मी की टिप्पणी से चलता है. उन्होंने लिखा है कि रेडियो कैब तो सुरक्षित हैं सिर्फ ड्राइवर नहीं हैं.

सुरक्षा की गारंटी हो भी कैसे. नागरिक सुविधाओं के अभाव में तरसते भारत में लोग हर छोटी सी सुविधा को लपक लेना चाहते हैं. मोबाइल ऐप समर्थित टैक्सी सुविधा ऊबर भी ऐसी ही सुविधा है लेकिन ऊबर के पास अपने टैक्सी नहीं, ड्राइवरों की जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं. उनका काम सिर्फ पैसे कमाना है अपने ग्राहकों को सुरक्षा देना नहीं.

आलोचना सरकार की भी हो रही है. प्रीति शर्मा मेनन ने इस घटना को सरकारों द्वारा महिलाओं की सुरक्षा पर सिर्फ बातें बनाने का उदाहरण बताया है.

बालन अय्यर की शिकायत है कि पुलिस वीआईवी सुरक्षा में व्यस्त है, उसके पास आम आदमी और महिलाओं के लिए समय नहीं.

अमृता त्रिपाठी ऊबर पर प्रतिबंध लगाने के बदले सुरक्षित विकल्पों की मांग करती हैं और पूछती हैं कि दूसरे देशों में क्या हो रहा है.

ऊबर दुनिया के हर देश में अपना पैर जमाने की कोशिश कर रहा है. जर्मनी में सुरक्षा के मुद्दों का हवाला देकर भी टैक्सी यूनियनें उनका विरोध कर रही हैं.

जर्मनी में टैक्सी सुविधाएं शहरों के स्तर पर आयोजित हैं. टैक्सी ड्राइवर का लाइसेंस पाने के लिए विशेष ट्रेनिंग और परीक्षा जरूरी होती है. टैक्सी चलाने का लाइसेंस भी तय नियमों के आधार पर दिया जाता है जिसमें यूनियन की सदस्यता भी शामिल है.

इन सब की वजह से इस पर नियंत्रण होता है कि टैक्सी ड्राइवर ग्राहकों से ठीक से पेश आएं, उन्हें कहीं ले जाने से मना न करें, उन्हें गलत रास्तों से ले जाकर अधिक पैसा न वसूलें.