महिला समानता में नॉर्डिक देश हैं टॉप
दुनिया के कुल 142 देशों में हुए सर्वे से पता चलता है कि कोई भी देश ऐसा नहीं है जहां लिंग के आधार पर बिल्कुल भेदभाव ना हो. केवल भारत की बात करें तो 2014 में पिछले साल के मुकाबले अंतर और गहराया है.
जेनेवा स्थित वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के वार्षिक जेंडर गैप इंडेक्स के अनुसार भारत 142 देशों की सूची में 13 स्थान गिरकर 114 वें नंबर पर पहुंच गया है. पिछले साल वह 136 देशों की सूची में 101वें स्थान पर था.
यह सर्वे स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक भागीदारी और राजनीतिक सहभागिता के मापदंडों पर महिलाओं की स्थिति को मापता है. यह भी देखा जाता है कि अमीर और गरीब देशों में महिलाओं को मिलने वाले अवसरों में कितना अंतर है.
भारत शिक्षा, आमदनी, श्रम बाजार में भागीदारी और बाल मृत्यु दर के मामले में इस सूची के अंतिम 20 देशों में शामिल है. दूसरी ओर, राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में भारत का 15वां स्थान है.
पुरुषों और महिलाओं के बीच सबसे ज्यादा समानता नॉर्वे, आईसलैंड, फिनलैंड, स्वीडन और डेनमार्क जैसे उत्तरी यूरोप के देशों में पाई गई. यह सूची के टॉप 5 देश हैं. तस्वीर में हैं नॉर्वे की मेजर जनरल क्रिस्टीन लुंड.
अमेरिका में महिलाओं की स्थिति पहले से बेहतर हुई है. वह इस सूची में तीन स्थान ऊपर आकर 20वें पायदान पर पहुंच गया है. इसका बड़ा कारण पुरुषों और महिलाओं की आय में अंतर का कम होना और राजनीतिक पदों पर अधिक महिलाओं की नियुक्ति है.
9वीं पायदान पर जगह बनाई है फिलीपींस ने, जो कि एशिया में महिला-पुरुष समानता के मामले में सबसे आगे है. यमन, पाकिस्तान और चाड इस सूची में सबसे नीचे हैं.
लोग और उनकी क्षमताएं किसी भी देश का सबसे बड़ा संसाधन होते हैं. महिलाओं और पुरुषों को शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के समान मौके देकर ही पूरी मानवता को बेहतरी की राह पर आगे बढ़ाया जा सकता है.