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महाभियोग का सामना करने की तैयारी में व्हाइट हाउस और ट्रंप

९ अक्टूबर २०१९

अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस का कहना है कि वह डेमोक्रैट सांसदों की ओर से लाए जा रहे महाभियोग के मामले में किसी तरह का सहयोग नहीं करेगा. व्हाइट हाउस ने इस महाभियोग को "अवैध" भी करार दिया है.

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Washington U.S. Präsident Trump
तस्वीर: Reuters/K. Lamarque

व्हाइट हाउस के इस बयान के बाद राष्ट्रपति ट्रंप और देश की संसद के बीच टकराव तेज होने की आशंका है. ट्रंप के अटॉर्नियों ने संसद के नेताओं को इस बारे में एक लंबा पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि पिछले हफ्ते एक व्हिसलब्लोअर की शिकायत के सामने आने के बाद से जिस जांच की चर्चा तेज हुई है उसमें व्हाइट हाउस शामिल नहीं होगा. व्हिसलब्लोअर का आरोप है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन से राजनीतिक मदद मांगी थी.

व्हाइट हाउस के अटॉर्नी पैट सिपोलोनी ने लिखा है, "आपकी जांच में किसी वैध संवैधानिक आधार, दिखावे की भी निष्पक्षता और यहां तक कि बेहद शुरुआती जरूरी प्रक्रिया की सुरक्षा भी नहीं है. इस कमी को देखते हुए कार्यकारी शाखा से इसमें शामिल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती."  

इसका मतलब है कि अब और किसी गवाह को इस प्रशासन के अंतर्गत संसद के सामने पेश होने या फिर और कोई दस्तावेज पेश करने की जरूरत का पालन करने की मंजूरी नहीं मिलेगी. व्हाइट हाउस की आपत्ति है कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ महाभियोग शुरू करने के लिए वोट नहीं दिया है. व्हाइट हाउस का यह भी दावा है कि जरूरी प्रक्रिया का पालन ट्रंप का अधिकार है लेकिन उसकी भी परवाह नहीं की गई है.

Washington Adam Schiff House Intelligence Committee Vorsitz
एडम शिफतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/P. Monsivais

संसद की इंटेलिजेंस कमेटी के चेयरमैन एडम शिफ ने इस इनकार के जवाब में ट्वीट किया है कि जांच में सहयोग से इनकार ट्रंप के इस रुख का संकेत है कि "राष्ट्रपति कानून के ऊपर हैं जबकि संविधान कुछ और कहता है."

संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने इस बात पर जोर दिया है कि हाउस अपने नियमों के तहत कार्यकारी शाखा की संविधान के तहत निगरानी कर सकता है. इसके लिए औपचारिक महाभियोग जांच वोट की जरूरत नहीं है. पेलोसी ने मंगलवार की रात कहा, "मि. प्रेसीडेंट आप कानून से ऊपर नहीं हैं. आप जिम्मेदार ठहराए जाएंगे."

कौन चला सकता है महाभियोग

अमेरिकी संविधान कहता है कि संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से पास महाभियोग का एकाधिकार है, और संसद के ऊपरी सदन यानी सीनेट के पास महाभियोग के मुकदमे चलाने का एकाधिकार है. संविधान में साफ लिखा गया है कि राष्ट्रपति को "राजद्रोह, घूसखोरी, समेत दूसरे बड़े अपराधों और दुराचारों के लिए" सीनेट के दो तिहाई मतों के समर्थन से पद से हटाया जा सकता है. हालांकि इसके आगे प्रक्रियाओं के बारे में कुछ और नहीं लिखा गया है.

व्हाइट हाउस के इस पत्र से ट्रंप को महाभियोग के खतरे से बचाने की नई रणनीति सामने आ गई है. दो हफ्ते पहले जांच पर उपेक्षित रुख अपनाने के बाद ट्रंप के सहयोगी अपने उपायों को पुख्ता बना रहे हैं. ट्रंप खुद को पीड़ित दिखाने की एक साल पहले वाली रणनीति पर ही चल रहे हैं. सोमवार को उन्होंने कहा, "लोग समझते हैं कि यह धोखा है, यह घपला है, संदिग्ध लोगों की खोज है. मुझे लगता है कि इससे मेरा काम कठिन होगा लेकिन मैं अपना काम करूंगा और किसी ने ढाई साल में जितना किया होगा मैं उससे बेहतर करूंगा."

मंगलवार सुबह ट्रंप ने संसद से इस लड़ाई को और तेज कर दिया. उन्होंने यूरोपीय संघ के अमेरिकी राजदूत गॉर्डन सोंडलैंड की बंद दरवाजे के पीछे गवाही रुकवा दी. सोंडलैंड यूक्रेन के साथ राष्ट्रपति के संबंधों के बारे में जानकारी देने वाले थे.

सोंडलैंड के अटॉर्नी रॉबर्ट लस्किन ने कहा कि उनके मुवक्किल "पूरी तरह से निराश" हो गए हैं कि अब वे गवाही नहीं दे सकेंगे. उधर शिफ का कहना है कि सोंडलैंड का नहीं आना ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ का संसद के काम में बाधा डालने का "एक और मजबूत सबूत" है और इससे महाभियोग का मामला और मजबूत होगा.

USA Nancy Pelosi Sprecherin US Repräsentantenhaus
नैंसी पेलोसीतस्वीर: Getty Images/C. Somodevilla

ट्रंप अपनी कानूनी टीम को भी मजबूत कर रहे हैं. पूर्व रिपब्लिकन रिप्रेजेंटेटिव ट्रे गाउडी को बाहरी वकील के तौर पर लाया गया है. गाउडी इससे पहले हिलेरी क्लिंटन और लीबिया के बेनगाजी में हुए आतंकवादी हमले की संसदीय जांच का नेतृत्व कर चुके हैं. पिछले साल उन्होंने दोबारा चुनाव में खड़े होने से इनकार कर दिया था.

व्हिसलब्लोअर की शिकायत और एक दूसरे राजदूत के जारी किए एसएमएस संदेशों के आधार पर अमेरिकी राजदूत सोंडलैंड को एक अहम गवाह के रूप में पेश किया जा रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने अपने डेमोक्रैट प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन पर कीचड़ उछालने के लिए यूक्रेन और दूसरे देशों में विदेश नीति का सहारा लिया.

कितना अहम है व्हाइट हाउस का पत्र

जानकारों का कहना है कि व्हाइट हाउस ने जो पत्र पेलोसी, शिफ और संसद की दूसरी कमेटियों के सदस्यों को लिखा है, वह कोर्ट में नहीं ठहरेगा. इसमें कहा गया है कि ट्रंप और उनके सहयोगी इस जांच में कानूनी आधार पर शामिल नहीं होंग. टेक्सस यूनिवर्सिटी में कानून पढ़ाने वाले प्रोफेसर स्टीफन व्लाडेक का कहना है, "मेरी नजर में यह पत्र व्हाइट हाउस के वकील के विश्लेषण से ज्यादा प्रेस विज्ञप्ति है जिसे प्रेस सचिव ने तैयार किया हो."

व्हाइट हाउस का दावा है कि गवाहों को परखना ट्रंप का संवैधानिक आधार है और वह सभी सबूतों की समीक्षा कर सकते हैं. व्हाइट हाउस के मुताबिक यह अधिकार ना सिर्फ सीनेट में महाभियोग पर होने वाले मुकदमे बल्कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में महाभियोग की प्रक्रिया और जांच पर भी लागू होता है. व्हाइट हाउस ने यह भी मांग की है कि डेमोक्रैट रिपब्लिकनों को भी यह अधिकार दें कि वह राष्ट्रपति के बचाव में गवाह जुटाने के लिए सम्मन जारी कर सकते हैं.

मंगलवार को वॉशिंगटन में ही एक संघीय जज ने एक अलग मामले की सुनवाई में दलीलें सुनी कि क्या हाउस ने वास्तव में औपचारिक महाभियोग की जांच बगैर वोटिंग के शरू की है या फिर इस जांच को कानून के तहत "न्यायिक प्रक्रिया" कहा जा सकता है.

इन दोनों का फर्क अहम है क्योगि ग्रैंड ज्यूरी की गवाही आमतौर पर गोपनीय होती है. इसमें सिर्फ एक ही अपवाद है कि अगर मामला न्यायिक प्रक्रिया का हो तो जज इसे जाहिर कर सकता है.

एनआर/आईबी (एपी)

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