महान कलाकार माइकलएंजेलो
पुनर्जागरण काल के महान कलाकार इटली के माइकलएंजेलो की कृतियां आज भी अनूठी हैं. फरवरी में इस कलाकार की पुण्यतिथि है. देखते हैं उनके कुछ काम.
मिलन की मिसाल
धरती और आकाश के मिलन की यह तस्वीर बहुत लोकप्रिय है. सेंट पीटर्स चर्च के गुंबद में उकेरी गई इस तस्वीर में ईश्वर पहले इंसान यानी आदम से मिल रहा है.
जादुई हाथ
माइकलएंजेलो कोई हैंडसम शख्स नहीं थे. जब वे जवान थे, तो दूसरे पेंटर ने उनके मुंह पर मुक्का मार दिया था. बाकी की जिंदगी उन्हें विकृत चेहरे के साथ जीनी पड़ी. यह तस्वीर उस वक्त की है, जब वह 60 के थे.
पत्थर में प्यार
माइकलएंजेलो के आत्मकथा लेखक वासारी का कहना है कि अपने समय के चित्रकारों से वह काफी आगे थे. उनकी कला ऐसी कि जैसे "पत्थरों में भी जान" फूंक दे.
होनहार वीरवान के...
शायद 25 साल से भी कम उम्र में माइकलएंजेलो उन समाजों में पहचाने जाने लगे, जो आने वाले दिनों में पुनर्जागरण में अहम भूमिका निभाने वाले थे.
उम्मीद की किरण
सितंबर, 1504 में नौ टन की संगमरमर की पट्टिका से "डाविड" तैयार हुआ. यह फ्लोरेंस में स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया. यह मूर्ति पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुई.
कड़ी टक्कर
कहते हैं कि माइकलएंजेलो हथौड़ी और छेनी लेकर ही पैदा हुए. लेकिन फिर भी उन्हें उस वक्त के फ्लोरेंस में कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा. डाविड के साथ वह ऐसी प्रतिमा बना देना चाहते थे, जो पहले कभी नहीं बनी हो.
महत्वाकांक्षी योजनाएं
सिस्टीन चर्च में माइकलएंजेलो मूर्तियों की तरह पेंटिंग तैयार करना चाहते थे. चार साल तक वह अपने साथियों के साथ यहां पेंटिंग करते रहे. लेकिन बाद में इसमें सुधार नहीं किया जा सका.
विशाल मूर्तियां
चार मीटर ऊंची मूर्तियां छत पर पेंट की गईं, जो काफी दूर से दिखती थीं. लेकिन मालिक को इस बात से परेशानी थी कि बाढ़ ठीक से नहीं दिख रही थी और ईश्वर काफी "मानव जैसे" बनाए गए थे.
क्या गुंबद है
पोप जूलियस ने माइकलएंजेलो की आखिरी कृति में उनकी मदद की. फरवरी, 1564 में मृत्यु से 19 साल पहले ही वह सेंट पीटर चर्च के गुंबद की तैयारी में जुट गए.