मच्छर से लड़ता मुंबई एयरपोर्ट
११ अप्रैल २०१४एयरपोर्ट भले ही अंदर से शानदार और दिव्य दिखे और इसकी दीवारों पर महंगी पेंटिंगें झूल रही हों लेकिन इलाके के आस पास गटर और गंदी नालियां बहती हैं, जहां मच्छरों का होना आम बात है. पास से ही मिठी नदी बहती है, जो प्रदूषण से भरी है. मुंबई के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के प्रवक्ता वैभव तिवारी ने बताया कि मछलियां मच्छरों के लार्वा को खा जाती हैं. इससे मच्छर कम पैदा होते हैं.
पिछले साल तैयार हुए टर्मिनल 2 में करीब दो अरब डॉलर का खर्च आया है और यह करीब 5.6 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसके अलावा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से मदद लेकर मच्छरों को पकड़ने वाले खास जाल भी लगाए गए हैं. इसके अलावा एयरपोर्ट अधिकारी बैटरी से चलने वाले रैकेटों भी भांजते रहते हैं, जिनसे मच्छर मरते हैं. एयरपोर्ट अधिकारियों ने इन मशीरों पर लगभग 40,000 डॉलर खर्च किए हैं.
स्क्रॉल डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक मशीन ऐसी गैस छोड़ती है, जो डेंगू और मलेरिया फैलाने वाली मादा मच्छरों को अपनी ओर आकर्षित करती है. मशीन में सटते ही बिजली के करंट से इन मच्छरों की मौत हो जाती है. एक तकनीकी कर्मचारी उस पुल पर भी मच्छर मारने वाला स्प्रे करता है, जिससे होकर मुसाफिर विमान में चढ़ते हैं.
तिवारी बताते हैं कि आस पास की गंदगी में मच्छर मारने के लिए भी हर हफ्ते कार्रवाई की जाती है. तिवारी के मुताबिक आस पास की झुग्गियों और कचरे के ढेर में मच्छर पैदा हो रहे हैं, "सभी उपाय करने के बाद इस समस्या में काफी कमी आई है. साल भर हमें ऐसा ही करते रहना होगा."
एजेए/एएम (डीपीए)