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मंथन है सबके लिए खास

२६ सितम्बर २०१३

पाठकों ने हमें जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की जीत और मंथन कार्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रियाएं, सुझाव भेजे हैं. आगे भी हम आपके सुझावों का स्वागत करते रहेंगे...

https://p.dw.com/p/19oVl
Deutsche Welle Bonn Funkhaus Gebäude Schürmann Bau Foto DW/Per Henriksen 04.09.2012. # DW2_6035.
तस्वीर: DW

पिछले हफ्ते जब मैं घर गया था, सौभाग्य से शनिवार सुबह हड़बड़ी में टीवी चालू किया और अनवर जी आ पहुंचे हमारे घर. बता रहे थे कि इंटरनेट पर अपनी सुरक्षा कैसे करें. मेरा अनुरोध है कि आपके इस कार्यक्रम में आप इंटरनेट को 3 मिनट का स्लॉट देकर रखिये. इसी में आप मोबाइल तकनीक सम्बन्धी जानकारी भी दे सकते हैं. इस बार मैं मंथन को शुरू से अंत तक देख पाया. आपसे एक और अनुरोध है, आप इंस्टाग्राम (Instagram) का उपयोग भी करें. आपके स्टूडियो के बाहर की और अन्दर की दुनिया देखने का मन करता हैं. इसके पहले हफ्ते आपकी मंथन मेकिंग की फिल्म भी पसंद आयी.

मनोज कामत, पुणे

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सर्वप्रथम DW को बधाई देना चाहूंगा, उसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. मैं मानता हूं सोशल मीडिया के क्षेत्र में DW बहुत जल्द वह मुकाम हासिल कर लेगा जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी, कारण उसकी निष्पक्षता और सटीक खबरों को शीघ्रतापूर्वक अपने पेज पर प्रकाशित करना चाहे सूचना प्रयोगिकी हो, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, एतिहासिक,या खेलों की खबरें, हर क्षेत्र को प्राथमिक्ता देना ही उसका प्रमाण है. यही कारण है दिनों दिन उसके पाठकों की संख्या बढ़ती जा रही है. सोशल मीडिया के माध्यम से जो हमारा सम्बंध DW से जुड़ा है वह आपके उत्साहवर्धन से दिनों दिन और मजबूत होता जा रहा है हमारे लेखों का प्रकाशन इस बात का प्रमाण है कि कितनी गम्भीरता से आप उसका अध्ययन करते हैं. आशा है यही स्नेह और प्यार सदैव DW से मिलता रहेगा.

Ausschnitt aus unserem TV Magazin "Manthan". Der Beitrag wurde von einem Kollegen in der Redaktion gedreht. Zulieferer: Isha Bhatia. Titel: Making of Manthan Schlagworte: Manthan, making of, hindi Bildbeschreibung: Szene aus dem Beitrag "Making of Manthan", der in der 52. Sendung gelaufen ist. zu sehen sind Kollegen der Hindi Redaktion im Funkhaus DW Bonn. In welchem Zusammenhang soll das Bild/sollen die Bilder verwendet werden?: Artikel / Bildergalerie / Dossier Bildrechte: - Der Fotograf / die Fotografin ist (freie) Mitarbeiter(in) der DW, so dass alle Rechte bereits geklärt sind.
तस्वीर: DW

मुहम्मद सादिक आज़मी, लोहिया, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश

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तीसरी बार चुने जाने पर मैं जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और उनकी पार्टी सीडीयू को दिल की गहराई से मुबारकबाद पेश करता हूं. निसंदेह अंगेला मैर्केल ने जर्मनी का एक नया इतिहास लिखा है. जर्मन वोटर्स ने उन पर अपना एतमाद जाहिर कर दिया है और इस बात को जैसे मान लिया है कि पिछले आठ सालों में जो काम अंगेला मैर्केल ने अपने लोगों, जर्मनी और यूरोप के लिए किए हैं, वो उनके लिए और उनके देश के लिए बहुत बेहतर और फाइदेमंद साबित हुए हैं. अंगेला मैर्केल का तीसरी बार जीतना मेरे ख्याल में यूरोप और यूरोजोन वाले देशों के लिए भी बहुत अहम है. पिछले कुछ सालों के दौरान यूरो मुद्रा के संकट के सबब बहुत से यूरोपीय देश बहुत सी मुश्किलात का शिकार रहे हैं, लेकिन जर्मनी ही ऐसा अकेला देश है जो फिर भी बहुत से यूरोपीय देशों के मुकाबले में बहुत खुशहाल देश रहा है और दूसरे संकटग्रसत देश जर्मनी की तरफ देख रहे हैं. इस बात में भी कोई शक नहीं कि यह जीत अंगेला मैर्केल के लिए बहुत सी चुनौतियां भी लाएगी और आने वाले चार साल अंगेला मैर्केल, उनकी सरकार और जर्मनी के लिए आसान नहीं होंगे. यहां पर मैं अपने डॉयचे वेले का दिल की गहराइयों से शुक्रिया अदा करता हूं कि जिसने हमें जर्मन चुनावों के बारे में बिला शुबा भरपूर जानकारी दी.

35. mazedonische Sendung "Evropanorama" DW Sequenz von dem Beitrag "Eurokrise - ist das Schlimmste vorbei?". Da steht ein Euro-Symbol in Frankfurt am Main.
तस्वीर: DW

आज़म अली सूमरो, ईगल इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कलब, ख़ैरपुर मीरस सिंध, पाकिस्तान

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विज्ञान, तकनीक और पर्यावरण की ज्ञानवर्धक महत्वपूर्ण और सटीक जानकारियों से परिपूर्ण मंथन एक साल के सफर में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गया है, लेकिन इसे एक बहुत बड़ा वर्ग, खासकर छात्र वर्ग देख पाने में वंचित है. कारण शानिवार के दिन भारत में छुट्टी न होना, मैं खुद भी अक्सर दूरदर्शन पर अपना पसंदीदा टीवी शो मंथन नहीं देख पाता, इसके लिए मुझे अपने मोबाइल इंटरनेट पर यूट्यूब का सहारा लेना पड़ता है. जहां मंथन के साथ यूरोप से जुड़े बहुत सारे रोचक और ज्ञानवर्धक वीडियो मैं किसी भी वक्त आसानी से देख लेता हूं, लेकिन भारत में हर किसी के पास इंटरनेट की सुविधा हो यह जरुरी नहीं. मंथन है सबके लिए खास. सुविधा एवं समय अभाव के कारण छात्र ही नहीं बहुत से लोग मंथन से दूर हैं. दूरदर्शन पर प्रसारित मंथन का प्रचार मैं बखूबी कर रहा हूं. अपने इस प्रयास के चलते कुछ दोस्तों की मदद से हमने इसका प्रचार कई स्थानीय स्कूलों में किया जहां ज्यादातर छात्रों ने शानिवार को मंथन न देख पाने के कारण इसे रविवार या किसी और समय प्रसारित करने की बात कही. मैं आपसे इसका समय बढ़ाने को तो नहीं कहूंगा पर इसका पुनः प्रसारण किसी समय रात को करने का सुझाव जरुर दूंगा ताकि किसी कारणवश जो दर्शक इसे नहीं देख पाते वह भी मंथन से जुड़कर इसका आसानी से लुत्फ उठा सकें.

आबिद अली मंसूरी, देशप्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, बरेली, उत्तर प्रदेश

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी