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मंगल मिशन अंतिम चरण में

१८ सितम्बर २०१४

अपने पहले मंगल मिशन के अंतर्गत भारत अगले हफ्ते मंगल के बाहरी कक्ष में अपना अंतरिक्ष यान स्थापित करेगा. मिशन की कामयाबी के साथ ही भारत अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय ताकतों के साथ दौड़ में अहम स्थान पर पहुंच जाएगा.

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तस्वीर: imago/United Archives

अगर 24 सितंबर को अंतरिक्ष यान मंगल के कक्ष में प्रवेश करने में कामयाब होता है तो भारत पहले ही प्रयास में कामयाब होने वाला पहला देश बन जाएगा. अब तक यूरोपीय, अमेरिकी और रूसी यान मंगल के कक्ष में प्रवेश करने और यहां तक मंगल की सतह पर पहुंचने में भी कामयाब हुए हैं, लेकिन ऐसा वे कई कोशिशों के बाद कर पाए.

भारत अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ा खिलाड़ी बनना चाहता है. 7.4 करोड़ डॉलर के प्रोजेक्ट की कामयाबी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन योजनाओं को भी ताकत देगी जिनके अंतर्गत उन्होंने भारत में अंतरिक्ष लॉन्च की नई सुविधाओं का वादा किया है. मंगलयान को पिछले साल नवंबर में अंतरिक्ष में भेजा गया था. प्रोजेक्ट का मकसद है मंगल गृह की सतह और संरचना के बारे में आवश्यक जानकारी हासिल करना. साथ ही वहां जीवन के अस्तित्व की संभावनाओं को भांपना.

Indien Raumfahrt Mars Orbiter Mission Start
तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो के साइंटिफिक सेक्रेटरी वी कोटेश्वर राव के मुताबिक, "संभावनाएं प्रबल हैं. अब तक जितने ऑपरेशन किए गए हैं और जितने तरह के पैमाने तय किए गए हैं उन सभी पर परिणाम सामान्य हैं." इसरो तैयारियां पूरी कर चुका है और कमांड भी अपलोड कर चुका है ताकि 24 सितंबर की सुबह मंगलयान को कक्ष में प्रवेश करने में कोई दिक्कत न हो. उन्होंने बताया कि इससे दो दिन पहले वे मेन इंजन का चार सेकेंड का टेस्ट भी करेंगे.

जानकारों का मानना है कि यान को उसकी मौजूदा रफ्तार, जो कि 22 किलोमीटर प्रति सेकेंड है, से कम करना चुनौती भरा रहेगा. इसके अलावा यह भी हो सकता है कि इससे बहुत हल्के सिग्नल मिलें. इसरो ने आपातकालीन स्थिति के लिए भी योजना तैयार रखी है. अगर मुख्य इंजन फेल हो जाता है तो यान को मंगल के बाहरी कक्ष में स्थापित करने के लिए आठ छोटे प्रक्षेपक इस्तेमाल होंगे.

एसएफ/आईबी (रॉयटर्स)