मंगल पर खोज करते करते मर गया ऑपर्चुनिटी
१५ फ़रवरी २०१९पिछले साल जून में धूल भरी आंधी के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का ऑपर्चुनिटी से संपर्क टूट गया. इस हफ्ते इसे आधिकारिक रूप से मृत घोषित कर दिया गया. इसके साथ अंतरिक्ष के सबसे सफल खोजी मिशनों में से एक खत्म हो गया है. अपनी बैटरी चार्ज करने में नाकाम ऑपर्चुनिटी ने पृथ्वी से भेजे सैकड़ों संदेशों का बीते महीनों में कोई जवाब नहीं दिया. नासा का कहना है कि 12 फरवरी 2019 की शाम उससे संपर्क करने की आखिरी कोशिश भी नाकाम रही.
कैलिफोर्निया में नासा की साइंस मिशन निदेशालय में एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस जुरबुशेन ने कहा, "मैं ऑपर्चुनिटी मिशन के पूरा होने की घोषणा करता हूं." ऑपर्चुनिटी मिशन से जुड़े रिसर्चरों और इंजीनियरों के लिए यह मातम का वक्त है. उनका प्यारा रोबोट जिसे प्यार से सब ऑपी कहते हैं अब आधिकारिक रूप से मर गया है.
मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर प्रोजेक्ट के मैनेजर जॉन कैलस ने कहा, "यह एक मुश्किल दिन है, भले ही वह एक मशीन है और हम उसे अलविदा कह रहे हैं लेकिन यह मुश्किल और मार्मिक घड़ी है." अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी ट्वीट कर कहा है, "उदास ना हों यह पूरा हो चुका है, गर्व है कि उसने हमें बहुत कुछ सिखाया. नासा और मार्स रोवर्स मिशन से जुड़े सभी पुरुषों और महिलाओं को बधाई, जिन्होंने हमारी उम्मीदों से बढ़ कर काम किया और अमेरिकी लोगों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया. यह मांग करहता है कि हम विज्ञान में निवेश जारी रखें जो इंसान के ज्ञान की सीमाओं को निरंतर बढ़ा रहा है."
यह मिशन असाधारण रूप से सफल रहा. कुल 45.2 किलोमीटर का गलियारा ऑपर्चुनिटी की खोजी नजरों से गुजरा. यह 1970 के दशक में सोवियत संघ के लूनोखोद2 मिशन से ज्यादा और 1972 में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों के अपोलो 17 मिशन से भी कहीं ज्यादा है. नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्रिजेन्स्टाइन ने एक बयान में कहा है, "ऑपर्चुनिटी जैसे पथप्रदर्शक अभियानों की वजह से एक दिन ऐसा होगा कि हमारे बहादुर अंतरिक्ष यात्री मंगल की सतह पर चल सकेंगे." ऑपर्चुनिटी ने मंगल ग्रह की 2,17,594 तस्वीरें भेजीं ये सारी तस्वीरें इंटरनेट पर देखी जा सकती हैं.
अंतरिक्ष के खोजी अभियानों की विशेषज्ञ और द प्लेनेटरी सोसाइटी की सीनियर एडिटर एमिली लकड़ावाला का कहना है, "आम लोगों के लिए बड़ा बदलाव यह आया है कि मंगल अब एक सक्रिय ग्रह बन गया है, एक ऐसी जगह जिसे आप हर रोज खोज सकते हैं. सचमुच ऐसा लगता है जैसे कोई मानवता के लिए कोई अवतार हो जो सतह पर चल रहा है."
ऑपर्चुनिटी ने मंगल की धरती पर उतरने के बाद अपनी आधी जिंदगी वहां घूमते हुए बिताई. चपटी सतह पर घूमते घूमते यह एक बार रेत के टीले में कई हफ्तों तक फंसा रहा. वहीं पर भूगर्भीय उपकरणों की मदद से इसने मंगल ग्रह पर कभी तरल रूप में पानी होने की पुष्टि की.
मार्स पर जीवन के दूसरे चरण में ऑपर्चुनिटी एंडेवर क्रेटर की कगारों पर चढ़ गया और इसने शानदार पैनोरेमिक तस्वीरें ली. इसके साथ ही इसने जिप्सम की भी खोज कर डाली. जिससे इस मंगल पर कभी बहते पानी के प्रमाण को और मजबूती मिली.
ऑपर्चुनिटी का जुड़वां स्पिरिट उससे तीन हफ्ते पहले मंगल की सतह पर उतरा और 2010 तक सक्रिय रहा. इन दोनों रोबोटों ने इन्हें बनाने वालों की उम्मीदों से कहीं आगे जा कर प्रदर्शन किया. सैद्धांतिक रूप से इस मिशन की आयु महज 90 दिन सोची गई थी.
मंगल पर अब बस एक रोबोट सक्रिय है जिसका नाम है क्यूरियोसिटी जो 2012 में मंगल पर उतरा. इसे सूरज की बजाए एक छोटे से परमाणु रिएक्टर से ऊर्जा मिलती है.
2020 में यूरोपीयन रशियन एक्सोमार्स मिशन में शामिल रोजलिंड फ्रैंकलिन रोबोट मंगल पर उतारने की योजना है. यह मंगल ग्रह के किसी दूसरे हिस्से में उतारा जाएगा. इसके बाद यहां सक्रिय रोबोटों की संख्या फिर से दो हो जाएगी.
एनआर/ओएसजे (एएफपी)