भूस्खलन से राहत के कामों में बाधा
९ अगस्त २०१०खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टरों को भी उड़ान भरने में दिक्कत हो रही है. कई प्रमुख सड़कें टूट गई और इस कारण कई इलाके पूरी तरह कट गए हैं. स्वात घाटी के कुछ इलाकों और राजधानी इस्लामाबाद के उत्तरपश्चिमी हिस्से में लोगों तक राहत पहुंचाने में खासी परेशानी हो रही है. राहत का काम देख रहे संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता के मुताबिक सारी कोशिशें करने के बाद भी स्वात घाटी के सभी हिस्सों में पहुंचना मुमकिन नहीं हो पा रहा है.
बाढ़ की त्रासदी ने राष्ट्रपति ज़रदारी को जहां सुरक्षात्मक रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है वहीं राहत के कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही सेना लोगों के दिल में जगह बना रही है. हर तरफ सरकारी अधिकारियों की जगह सेना के अफसर और जवान ही नजर आ रहे हैं. उन्होंने राहत कामों को पूरी तरह से अपने हाथ में ले लिया है. सेना ने अब तक 100 टन खाने पीने का सामान प्रभावित लोगों में बांटा है. आपदा के समय में राष्ट्रपति ने विदेश दौरे पर जाकर लोगों का गुस्सा भड़का दिया है. अमेरिकी अधिकारी भी खुलकर तो कुछ नहीं कह रहे लेकिन वो भी मानते हैं कि आपदा के समय सरकार की धीमी प्रतिक्रिया से ज़रदारी को नुकसान होगा.
पिछले 80 सालों में सबसे आई सबसे भयानक बाढ़ में अब तक 1600 जानें जा चुकी हैं. भारी बारिश के कारण आई बाढ़ का पानी करीब 1000 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है.
इस बीच सेना ही नहीं वो संगठन भी बचाव के कामों में उतर आए हैं जिनपर कट्टरपंथियों को आर्थिक मदद देने के आरोप हैं. सरकार की लापरवाही का इन संगठनों को भरपूर फायदा हुआ है. उधर अमेरिकी सरकार इस चिंता में डूबी है कि पहले से ही खराब हालत में चल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को इस बाढ़ से और नुकसान होगा. अमेरिका इस बात से भी चिंता में है कि पाकिस्तान में विकास के कामों को रोक कर इस आपदा से लड़ना होगा. पाकिस्तान को और ज्यादा विदेशी मदद की जरूरत होगी. राहत के कामों में जुटे संगठनों का कहना है कि अगले कुछ महीनों में अरबों डॉलर की जरूरत पड़ेगी. पाकिस्तान ने 2008 में आईएमएफ से भारी मदद ली थी जिससे कि देश में भुगतान संकट से बचा जा सके. अब पाकिस्तान के सामने 10.66 अरब डॉलर की सहायता पाने की शर्तों को पूरा करने की चुनौती है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम