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मंथन 81 में खास

२ अप्रैल २०१४

मंथन के 81वें एपिसोड में देखिए कि अगर जहाज बिन भीगे चल सकें तो क्या फायदा है और जानिए एलिफेंटाइटिस के बारे में.

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तस्वीर: Fotolia/Souchon Yves

भारी बारिश में भी कई फूल पत्तियां और जानवर भीगते नहीं हैं. इसका कारण है कि उनकी चिकनी बाहरी सतह पर हवा की एक परत बन जाती है. बॉन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ऐसी ही हवा की परत वाली एक कृत्रिम सतह बनाने में सफल हुए हैं. इसकी प्रेरणा उन्हें जलकुंभी जैसे पौधे से मिली है. अब वैज्ञानिक इस कृत्रिम सतह को जहाज में इस्तेमाल करना चाहते हैं जिससे समुद्री यात्रा तेज और किफायती हो सके.

एलिफेंटाइटिस या हाथी पैर, लाइलाज मानी जाने वाली यह बीमारी भारत समेत दुनिया के 70 से भी ज्यादा देशों में पाई जाती है. यह या तो जन्म से होती है या फिर कुछ खास कीड़ों के काटने से. भारत में ही चार करोड़ से ज्यादा लोग हाथी पैर का शिकार हैं. मंथन में इस बार हम मिलेंगे एक इंडोनेशियाई शोधकर्ता से जो जर्मनी में इस बीमारी के कारणों पर शोध कर रहे हैं और इसका इलाज ढूंढने के नजदीक हैं.

मेक्सिको का टकाना ज्वालामुखी करीब 500 साल बाद 1950 के दशक में फटा. तब इसका लावा चार किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ा. पिछले करीब 60 सालों से शांत पड़ा यह ज्वालामुखी, यहां रहने वालों के लिए परेशानी नहीं बल्कि खुशी का कारण है. कार्यक्रम के इस एपिसोड में जानेंगे कि जानलेवा ज्वालामुखी के नीचे रहने वाले ये लोग कैसे कर रहे हैं इको फ्रेंडली खेती.

तस्वीरों में देख कर भी खाने की चीजें कितनी लजीज लगती हैं. कई तस्वीरें तो इतनी सजीव होती हैं कि देख कर ही भूख लगने लगे. फ्रांस के दो कलाकार खाने की चीजों को कला में ढाल कर एक पूरी दुनिया बसा देते हैं. चाहे बटर हो या चॉकलेट, ब्रेड हो या चिकन, बिस्किट हो या चिप्स, ये कलाकार इन चीजों से खूबसूरत कलाकृतियां तैयार करते हैं. मंथन में होगी इन कलाकारों से मुलाकात और एक प्रदर्शनी के लिए बनाए जा रहे मॉडलों का नजारा भी.

आरआर/एएम