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भारत में सर्दी, यूरोप में गर्मी

५ जनवरी २०१३

दिल्ली और लखनऊ सर्द हो गया है तो बर्लिन और लंदन गरमा रहा है. जहां सर्दियों में सफेद बर्फ नजर आती थी, वहां लोग एक स्वेटर में घूमे जा रहे हैं और भारत में ठिठुर रहे हैं. क्या इसकी वजह भी जलवायु परिवर्तन ही है?

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

सर्दी में ओवरकोट के नए डिजाइन आए हैं. बर्लिन के बाजारों की शोकेस में लगे हैं, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे. सेल भी लगा दिया गया है, फिर भी नहीं बिक रहे. आम तौर पर क्रिसमस के बाद सेल लगता है क्योंकि त्योहार में खरीदारी लोगों की मजबूरी होती है. इस साल पहले ही सेल लग गया, फिर भी बाजार का ये हिस्सा खाली है. लोग 30 फीसदी कम कीमत पर भी सर्दी के कपड़े नहीं खरीद रहे हैं.

गर्म है यूरोप

वजह है गर्म सर्दी. आम तौर पर जर्मनी में साल का यह हिस्सा बर्फ से ढंका होता था. तापमान शून्य से 10-15 डिग्री नीचे चला जाया करता था. लेकिन इस साल न तो बर्फ जमी और न ही पारा गिरा. गुरुवार को बर्लिन का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहा, तो लंदन का तापमान नौ डिग्री. लोग आधे अधूरे कपड़े पहन कर बाहर निकल रहे हैं. कइयों के हाथों में तो आइसक्रीम भी दिख रही है. जर्मनी के जाने माने मौसम वैज्ञानिक मुजीब लतीफ का कहना है कि मौसम में बदलाव कोई बड़ी बात नहीं, "देखिए, सबसे पहले हमें जलवायु और मौसम में फर्क करना सीखना होगा. मौसम में हमेशा बदलाव होता है. अगर किसी हिस्से में गर्म हवा चल रही हो, तो दूसरे हिस्से में निश्चित तौर पर सर्द हवाएं चल रही होंगी. जैसा कि यूरोप के अंदर अभी रूस में है. अगर कहीं कम दबाव वाला क्षेत्र बना है, तो कहीं उच्च दबाव वाला भी बना होगा."
हालांकि लतीफ कहते हैं कि प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ से भी कुछ समय के लिए ऐसे प्रभाव पैदा हो सकते हैं, "अब आर्कटिक में बर्फ पिघलने से क्या असर पड़ता है. कम से कम अस्थायी तौर पर. हमारे रिसर्च बताते हैं कि इसकी वजह से रूस के ऊपर उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है लेकिन हो सकता है कि ऐसी स्थिति जर्मनी के ऊपर भी बन जाए. लेकिन अगर वहां बर्फ लगातार पिघलती रही तो हो सकता है कि आने वाले दिनों में साइबेरिया तक गर्मी पहुंच जाए."

Nacktrodeln in Braunlage Niedersachsen
तस्वीर: dapd

भारत में सर्दी
यानी गर्म कोट जाया नहीं जाएंगे. अगर मौसम गर्म हो रहा है, तो सर्द दिन भी आ सकते हैं. लेकिन भारत में स्थिति उलटी है. यूरोप जैसी सर्दी भारत में देखने को मिल रही है. दिल्ली में पारा तीन चार डिग्री तक पहुंच रहा है. तो क्या प्रोफेसर लतीफ का फॉर्मूला वहां भी लगेगा. राष्ट्रीय मौसम भविष्यवाणी केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक रंजीत सिंह बताते हैं, "मौसम का अपना चक्र होता है. हर साल ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है और हर चीज को जलवायु परिवर्तन पर नहीं थोपा जा सकता. पिछले 10 साल का पैटर्न हम देखें, तो दिल्ली में ऐसी सर्दी पड़ चुकी है. साल 2006 में पारा एक डिग्री तक पहुंच गया. और अगर वैसा देखा जाए, तो 1960 के दशक में भी भारी सर्दी पड़ी थी?"
सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है और ऐसी फौरी चीजों के लिए उसे वजह नहीं बताया जा सकता लेकिन जलवायु पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ दिन भारत में सर्द रहेंगे, "मौसम के चक्र के मुताबिक भारत में आम तौर पर 20 दिसंबर से 20 जनवरी तक सबसे ज्यादा सर्दी रहती है."
भारत में सर्दी की वजह से इस साल 115 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. राजधानी दिल्ली के अलावा लखनऊ और उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों में भी कड़ाके की सर्दी पड़ रही है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः निखिल रंजन

Kältwelle in Indien
तस्वीर: DW