भारत में लापरवाही से भरे स्वास्थ्य शिविर
५ दिसम्बर २०१४नेत्र शिविर का आयोजन करने वाले एनजीओ और ऑपरेशन को अंजाम देने वाले डॉक्टरों के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू कर दी गई. यह ऑपरेशन मुख्यतः बुजुर्ग औरतों पर किया गया था. शिविर के लिए प्रशासन से इजाजत लेना अनिवार्य होता है लेकिन ऐसा नहीं किया गया. नेत्र शिविर का आयोजन पंजाब के गुरदासपुर में हुआ.
अमृतसर में सिविल सर्जन राजीव भल्ला के मुताबिक जिन 45 अन्य मरीजों का ऑपरेशन किया गया है उनकी हालत पर नजर रखी गई है. अमृतसर में इन मरीजों का इलाज जारी है. भल्ला के मुताबिक, "कारण शायद विसंक्रमित उपकरणों का इस्तेमाल हो सकता है. सिर्फ यही कारण आंखों में इन्फेक्शन का हो सकता है. ऐसी कोई संभावना नहीं है कि उनकी दृष्टि दोबारा बहाल हो सके."
शिविरों में इस तरह के कच्चे काम भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की बदहाली की ओर ध्यान खींचते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में सार्वजनिक चिकित्सा देखभाल पर खर्च की दर दूसरे देशों के मुकाबले सबसे कम है. पिछले महीने छत्तीसगढ़ में नसबंदी के बाद 13 महिलाओं की मौत की हो गई थी. स्वतंत्र जांच में पता चला कि डॉक्टर ने हर मरीज पर एक ही सुई का इस्तेमाल किया और कर्मचारियों ने कभी अपने दस्ताने बदले ही नहीं.
गुरुदासपुर नेत्र शिविर में इस लापरवाही भरे ऑपरेशन का पता तब चला जब बुधवार को 15 मरीज सरकारी अस्पताल पहुंचे. वहां मरीजों ने दवा और वित्तीय सहायता की मांग की. नवंबर के शुरूआती दिनों में इन लोगों पर ऑपरेशन किया गया था. अमृतसर के उपायुक्त रवि भगत के मुताबिक, "वे परेशान और मजबूर थे. उन्हें हमारे पास आने में समय लगा क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था कि मामला इतना गंभीर हो सकता है."
ब्रिटिश चैरिटी साइटसेवर्स के मुताबिक भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा नेत्रहीन हैं और मोतियाबिंद इसका सबसे बड़ा कारण है. इस समस्या से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर मोतियाबिंद शिविरों का आयोजन होता आया है. भल्ला कहते हैं, "ये सिर्फ एक मामूली सर्जरी है, आमतौर पर नतीजे सामान्य होते हैं. ऐसा कभी नहीं होना चाहिए था."
एए/एमजे (रॉयटर्स)